स्वास्थ्य मंत्रालय की ई-संजीवनी ने कोविड काल में किया बड़ा कमाल

  • whatsapp
  • Telegram
  • koo
स्वास्थ्य मंत्रालय की ई-संजीवनी ने कोविड काल में किया बड़ा कमाल

स्वास्थ्य मंत्रालय की ई-संजीवनी ने कोविड काल में किया बड़ा कमाल

मीना पाण्डेय , संपादक, बचपन एक्सप्रेस

भारत सरकार के टेलीमेडिसिन पहल ई-संजीवनी ने रिकॉर्ड कायम करते हुए आठ लाख परामर्श पूरा कर लिया है - स्वास्थ के क्षेत्र में भारत की डिजिटल पहल आने वाले समय में वरदान साबित होगी -

कोरोना काल में जब हॉस्पिटल में जाना इस समय खतरे से खाली नहीं है वहाँ पर सामान्य और कई बार गंभीर बीमारी के मरीज के लिए यह सेवा वरदान साबित हो रही है - इससे न सिर्फ संक्रमण को कम करने में मदद मिल रही है बल्कि लोगो को घर बैठे स्वास्थ सेवा मुहैया करा पाना भी मुमकीन हो पाया है -

भारत के कई राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 11,000 से अधिक मरीज प्रतिदिन स्वास्थ्य सेवाएं पाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। ई- संजीवनी पहल कुछ राज्यों को एक मॉडल के रूप में भी सुविधा प्रदान कर रही है जो विशेष रूप से सुदूर और दूर-दराज के क्षेत्रों में पूरे वर्ष रोगियों की सेवा कर सकता है।

ई-संजीवनी और ई-संजीवनी ओपीडी प्लेटफॉर्म के माध्यम से सबसे ज्यादा परामर्श देने वाले शीर्ष दस राज्यों में तमिलनाडु (259904), उत्तर प्रदेश (219715), केरल (58000), हिमाचल प्रदेश (46647), मध्य प्रदेश (43045), गुजरात (41765), आंध्र प्रदेश (35217) उत्तराखंड (26819), कर्नाटक (23008), महाराष्ट्र (9741) हैं।




ई-संजीवनी का मॉडल

इस प्रक्रिया में दो तरह के सिस्टम काम करते है - पहले में डॉक्टर से डॉक्टर की बात और रोगी से डॉक्टर की बात | इस प्रणाली की खासियत है की दूर दराज के गाँव में जंहा पर विशेषज्ञ डॉक्टरो की कमी है वहा पर स्वास्थ कर्मी किसी भी मरीज की बेहतर देखभाल इसकी सहायता से कर सकता है -

ई-संजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी को नवंबर 2019 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया था और दिसंबर 2022 तक इसे 'हब एंड स्पोक' मॉडल में भारत की आयुष्मान भारत योजना के तहत 1,55,000 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों में लागू किया जाना है।

ई-संजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी 4,700 से अधिक स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों में कार्यात्मक है और 17,000 से अधिक डॉक्टरों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को इसके उपयोग के लिए प्रशिक्षित किया गया है। इस महत्वाकांक्षी पहल के दूसरे संस्करण ई-संजीवनी ओपीडी को पहले लॉकडाउन के दौरान 13 अप्रैल 2020 को रोल आउट किया गया था जब देश में ओपीडी को कोविड-19 संक्रमण से बचाव के लिए बंद कर दिया गया था।

ई-संजीवनी आबादी के उस क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रभाव डाल रहा है जहां यात्रा की दूरी, समय और लागत बाहरी सेवाओं की तलाश में बाधाएं हैं। इसने एक डॉक्टर के साथ परामर्श के लिए एक व्यवहार्य और पसंदीदा विकल्प के रूप में कार्य किया है। अब तक 16 जिलों ने 10,000 से अधिक परामर्शों को पंजीकृत किया है और 100 से अधिक जिलों ने 1000 से अधिक परामर्शों को पंजीकृत किया गया है।

ई-संजीवनी ओपीडी पर 220 से अधिक ऑनलाइन ओपीडी में टेलीमेडिसिन सेवाएं प्रदान करने के लिए 7500 से अधिक डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया गया है। ई-संजीवनी ओपीडी सेवाओं को उनके घरों की परिधि में मरीजों तक पहुंचाने में सक्षम बनाता है। 100 से अधिक टेलीमेडिसिन चिकित्सकों ने 1,000 से अधिक टेलीकॉन्शलटेशन किए हैं और उनमें से कुछ ने 10,000 से अधिक परामर्शों को लॉग इन किया है। मरीजों के संबंध में, 20 प्रतिशत से अधिक मरीज एक से अधिक बार डॉक्टरों से परामर्श करने के लिए ई-संजीवनी का उपयोग करते हैं। इनमें से कई छोटे जिले हैं, यह दर्शाता है कि ई-संजीवनी छोटे जिलों में समान या अधिक प्रभाव डाल रही है।

स्वास्थ्य मंत्रालय राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ मिलकर मानव संसाधनों के उपयोग को निरंतर अनुकूलित करने के लिए तेजी से प्रगति कर रहा है। कुछ राज्यों में डॉक्टरों और विशेषज्ञों का एक ही सेट अब ई-संजीवनी के डॉक्टर-टू-डॉक्टर और रोगी-से-डॉक्टर संस्करण दोनों पर सेवाएं प्रदान कर रहा है। सी-डीएसी मोहाली में ई-संजीवनी की टीम ई-संजीवनी के विकास, परिनियोजन, कार्यान्वयन, प्रशिक्षण, संचालन और प्रबंधन से लेकर सभी तकनीकी सहायता प्रदान कर रही है।

(पीआईबी के इनपुट के साथ )


Next Story
Share it