भारतीय विज्ञान संस्थान की रिसर्च में बड़ा खुलासा, कोरोना से बचाव में कारगर हैं यह मास्क
भारतीय विज्ञान संस्थान रिसर्च में सामने आया है कि कई लेयर वाले मास्क लोगों को हवा में या किसी गैस में घुले छोटे ठोस कण या लिक्विड की बूंदों के संपर्क...
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भारतीय विज्ञान संस्थान रिसर्च में सामने आया है कि कई लेयर वाले मास्क लोगों को हवा में या किसी गैस में घुले छोटे ठोस कण या लिक्विड की बूंदों के संपर्क...
भारतीय विज्ञान संस्थान रिसर्च में सामने आया है कि कई लेयर वाले मास्क लोगों को हवा में या किसी गैस में घुले छोटे ठोस कण या लिक्विड की बूंदों के संपर्क में आने से रोकने के लिए सबसे ज्यादा प्रभावी होते हैं। बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान के शोधकर्ताओं की टीम ने इसपर रिसर्च की है।
आईआईएससी के मुताबिक, जब किसी व्यक्ति को खांसी आती है तब मुंह या नाक से निकलने वाली लिक्विड की बड़ी बूंदें तेजी से मास्क की अंदर वाली परत से टकराती हैं और मास्क के अंदर घुस जाती है और आगे जाकर छोटी बूंदों में तब्दील हो जाती है। और इनके हवा में या किसी गैस में घुलने की ज्यादा आशंका है। इस प्रकार इनमें सार्स-सीओवी-2 जैसे वायरस हो सकते हैं। वहीं दूसरी ओर दोबारा इस्तेमाल किए जाने वाले मास्क को 20 बार तक धोया जा सकता है।
हालांकि, इसका प्रभाव धुलाई पर निर्भर है। वैज्ञानिकों ने अध्ययन के दौरान मास्क का परीक्षण कोरोना वायरस एमएचवी-ए59 पर किया जो आनुवांशिकी एवं ढांचे के आधार पर सार्स-कोव-2 के समान है।
अराधना मौर्या