वैज्ञानिकों के शोध में दावा किया गया वेरिएंट के खिलाफ वैक्सीन की एक डोज़ काफी नहीं.....
भारत में कोरोनावायरस महामारी से तबाही फिलहाल पिछले हफ्ते से कम देखी जा रही है, लेकिन मौत के आंकड़े अभी भी डराने वाले हो रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें...
भारत में कोरोनावायरस महामारी से तबाही फिलहाल पिछले हफ्ते से कम देखी जा रही है, लेकिन मौत के आंकड़े अभी भी डराने वाले हो रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें...
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भारत में कोरोनावायरस महामारी से तबाही फिलहाल पिछले हफ्ते से कम देखी जा रही है, लेकिन मौत के आंकड़े अभी भी डराने वाले हो रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो भारत में मिला कोरोना का नया वेरिएंट बी.1.617.2 लोगों को तेज़ी से अपनी चपेट में ले रहा है।
इसी के साथ वैज्ञानिकों ने इस वैरीएंट को बेहद खतरनाक बताया है। वैज्ञानिकों के एक शोध में दावा किया गया है कि इस वेरिएंट के खिलाफ वैक्सीन की एक डोज़ काफी नहीं है। उन्होंने शोध में बताया है कि कोरोना के इस वेरिएंट से बचने के लिए वैक्सीन की दो डोज़ बेहद जरूरी है, आपको बता दें कि इससे पहले ये कहा जा रहा था कि वैक्सीन की एक डोज़ से भी कुछ हद तक वायरस के प्रभाव से बचा जा सकता है, लेकिन नए वेरिएंट के खिलाफ ऐसा नहीं है।
भारत में फिलहाल चल रहे टीकाकरण अभियान पर इसका असर पड़ सकता है। पिछले दिनों भारत सरकार ने कोविशील्ड वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज के बीच के अंतर को बढ़ाने का फैसला किया था।
अब ये वैक्सीन भारत में 12-16 हफ्तों के बीच लगाई जा रही। ऐसे में कोरोना की नई वेरिएंट से बचने के लिए सरकार को नई प्लानिंग करनी पड़ सकती है। ये आंकड़े ब्रिटेन के उन लोगों के हैं जिन्होंने फाइज़र और ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लगाई है, गौरतलब है कि भारत में एस्ट्राजेनेका की ये वैक्सीन कोविशील्ड के नाम से लगाई जा रही है।
आपको बता दें कि पिछले दिनों इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के वैज्ञानिकों ने अपने शोध की शुरुआती रिपोर्ट जारी की थी।
नेहा शाह