डेल्टा जैसा जानलेवा और खतरनाक नहीं है ओमिक्रॉन वैरिएंट, नहीं आ रही अस्पताल में दाखिल होने की नौबत

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डेल्टा जैसा जानलेवा और खतरनाक नहीं है ओमिक्रॉन वैरिएंट, नहीं आ रही अस्पताल में दाखिल होने की नौबत

साउथ अफ्रीका में मिले कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। दरअसल उत्तर प्रदेश कोविड एडवाइजरी कमेटी के चेयरपर्सन और लखनऊ एसजीपीजीआई के डायरेक्टर डॉ. आरके धीमान और आईसीएमआर के चीफ एपिडमोलॉजिस्ट डॉक्टर समीरन पांडा ने साउथ अफ्रीका में फैले ओमिक्रॉन वायरस और उससे प्रभावित मरीजों की स्टडी की और पाया कि यह वायरस डेल्टा की तरह खतरनाक नहीं है।

इस वायरस से संक्रमित मरीजों को फिलहाल न तो बहुत ज्यादा अस्पताल में दाखिल होने की जरूरत हो रही है और ना ही मृत्यु दर बढ़ रही है। दोनों डॉक्टरों ने कहा है कि वायरस को अभी भी स्टडी किया जा रहा है, लेकिन डरने और घबराने की बिल्कुल जरूरत नहीं है।

तेजी से नहीं गिरता ऑक्सिजन स्तर

उन्होंने साउथ अफ्रीका के अलग-अलग अस्पतालों और अलग-अलग राज्यों में पाए गए ओमिक्रॉन संक्रमित मरीजों और उनकी रिपोर्ट को स्टडी किया है। उस रिपोर्ट के मुताबिक संक्रमण तो फैल रहा है, लेकिन यह उतना खतरनाक नहीं है जितना डेल्टा वैरिएंट था।

प्रोफेसर धीमान ने बताया कि ओमिक्रॉन स्वरूप से प्रभावित मरीजों को साउथ अफ्रीका और अन्य प्रभावित देश के मरीजों की रिपोर्ट और स्थिति को जानने के बाद पता चला कि उनका ऑक्सिजन का स्तर भी उतना तेजी से नीचे नहीं गिर रहा है, जितना डेल्टा वैरिएंट से गिर रहा था।

हमारे देश में नहीं हैं ओमिक्रॉन वैरिएंट के मामले

इसके अलावा जिस तरीके से डेल्टा वैरिएंट से प्रभावित मरीजों की मृत्युदर अचानक बढ़नी शुरू हुई थी वह भी ओमिक्रॉन वैरिएंट में नहीं दिख रही है। वे कहते हैं कि इसलिए एक बात तो बिल्कुल स्पष्ट हो चुकी है कि फिलहाल अभी की स्थिति में ओमिक्रॉन वैरिएंट उतना घातक नहीं है, जितना इसे लेकर लोगों में डर बना हुआ है।

डॉक्टर धीमान का कहना है क्योंकि अपने देश में अभी तक इस वैरिएंट के मामले सामने नहीं आए हैं, इसलिए चिकित्सा विशेषज्ञ उन्हीं देशों में मरीजों की रिपोर्ट का न सिर्फ अध्ययन करते हैं, बल्कि यह जानने की कोशिश करते हैं कि क्या वास्तव में बीमारी या संक्रमण उतना ही घातक है जितना बताया जा रहा है।

उनके मुताबिक अभी तक दक्षिण अफ्रीकी देशों में संक्रमित मरीजों की रिपोर्ट और उनकी दशाओं को देखने से अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह वायरस फिलहाल उतना खतरनाक नहीं है। हालांकि उनका कहना है इस दिशा में आगे शोध और स्टडी की जा रही है।


आईसीएमआर के चीफ एपिडमोलॉजिस्ट डॉक्टर समीरन पांडा कहते हैं कि साउथ अफ्रीका में इस वायरस के म्यूटेंट से लोग प्रभावित तो हो रहे हैं, लेकिन वह उस खतरनाक स्थिति में नहीं जा रहे हैं जितना डेल्टा वैरिएंट में पहुंच रहे थे।

वह कहते हैं कि साउथ अफ्रीका के अस्पतालों और साउथ अफ्रीका के मेडिकल इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट्स और मरीजों के संक्रमण की स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि लोगों को यह संक्रमित तो कर रहा है लेकिन लोगों की जान कम जा रही है और अस्पताल में दाखिल होने की भी ज्यादा नौबत नहीं आ रही है। डॉक्टर पांडा कहते हैं कि लोगों को बेवजह पैनिक होने की जरूरत नहीं है।

क्योंकि अभी तक की रिपोर्ट यह बिल्कुल नहीं बताती है कि यह वायरस बहुत खतरनाक है। क्योंकि मेडिकल साइंस ऐसे किसी भी वायरस का पूरा अध्ययन करती है और उसके बाद उसकी गंभीरता का पैमाना तय करके देश और दुनिया को आगाह करती है। जो कि शुरुआती दौर में यह पाया गया कि नए वैरिएंट में बदलाव बहुत तेजी से हो रहे हैं, इसलिए बहुत ज्यादा सतर्क और सजग रहने की आवश्यकता है।

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