उत्तर प्रदेश : डॉक्टर बोले मरीज से, तुम्हे भगवान के पास..

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उत्तर प्रदेश : डॉक्टर बोले मरीज से, तुम्हे भगवान के पास..
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डॉक्टर को धरती पर भगवान की संज्ञा दी जाती है पर मंगलवार को कैंसर संस्थान के डॉक्टर ने एक मरीज से कह दिया कि तुम्हें भगवान के यहां जाकर ही आराम मिलेगा। यहां कोई इलाज नहीं है। 6 महीने से पेट और सीने के दर्द से तड़प रहा 20 साल का युवक बूढ़ा हो गया। अब वह अपने पैरो पर सीधे खड़ा नहीं हो पा रहा है।

फतेहपुर से आए एक युवक को उर्सला और जेके कैंसर संस्थान के डॉक्टरों ने भड़का दिया। उसकी सीटी स्कैन रिपोर्ट तक नहीं देखी। हालांकि कैंसर संस्थान के ही डॉक्टरों ने सीटी स्कैन को भेजा था। युवक हैलट में मेडिसिन और सर्जरी ओपीडी के बीच चक्कर लगाता रहा पर उसेकुछ राहत नहीं मिली। हैलट के प्रमुख अधीक्षक प्रो. आरके मौर्या के मुताबिक, युवक के पैंक्रियाज में गड़बड़ी दिख रही है। सीटी स्कैन रिपोर्ट में कैंसर तो नहीं लग रहा है। पीआरओ से कहा गया है कि युवक को भर्ती कराएं, जो इलाज संभव होगा किया जाएगा।

फतेहपर सदर बाजार के गलीपुर मोहल्ले के रहने वाले युवक अमित ने बताया कि एक दिन पेट में दर्द उठने से वह तड़पने लगा। मोहल्ले के डॉक्टर ने इंजेक्शन देकर उर्सला भेजा। यहां डॉक्टरों ने बिना जांच किये बोले कि लखनऊ जाओ। वहां से दोबारा उर्सला भेजा गया। उर्सला से तीसरी बार जेके कैंसर रेफर किया गया। यहां एक डॉक्टर ने सीटी स्कैन लिखा। सीएमओ ने हैलट से सीटी स्कैन फ्री में कराया। रिपोर्ट लेकर कैंसर संस्थान गया तो डॉक्टर बोले, यहां तुम्हारा इलाज नहीं हो पाएगा । वहां एक कर्मचारी ने हैलट भेज दिया। हैलट में डॉक्टर विनय कुमार की ओपीडी में दिखाने को आया था। जूनियर डॉक्टर ने देखकर टरका दिया।

युवक भीख मांगकर आ रहा अस्पताल

अमित ने बताया कि उसके कोई नहीं है। पिता कहीं गायब हो गए। मां भी छोड़कर चली गई। वह घर में अकेला ही है। डीजे बजाने का काम करता था। अब पैसे भी नहीं है। भीख मांगकर अस्पतालों में जाने के लिए किराया इकट्ठा करता हैं। छह महीने से कोई भर्ती नहीं कर रहा है।

प्रो. एसएन प्रसाद, निदेशक, कार्डियोलॉजी कहते हैं कि मरीज को इस तरह कोई डॉक्टर नहीं कह सकता है। संभव है किसी कर्मचारी ने उससे कह दिया हो। मगर यह पूरा मामला सामने तो आए। यहां संस्थान का मरीज है या नहीं है। युवक मुझसे मिले और बताए उसने किस डॉक्टर को दिखाया। वह कहां कहा गया है कि वह भगवान के यहां जाए तभी आराम मिलेगा। मरीज के साथ अगर वास्तव में ऐसा हुआ है तो सम्बंधित को सुधारने की कोशिश की जाएगी।

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