*लघुकथा*. *संवेदना - साधना शुक्ला

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*लघुकथा*. *संवेदना - साधना शुक्ला
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₹35000 में गाय खरीद कर लाए शर्मा जी बड़ी प्रसन्नता से थाली में गुड रखकर फूल माला अक्षत रोली से गाय बछड़े की पूजा कर रहे थे| गाय को बांधने के स्थान पर आटे से स्वास्तिक बनाकर चारों कोनों पर कुमकुम और सिंदूर का तिलक लगाया| फिर गाय का खूंटा गाड़ कर गाय को लाकर खूंटे से बांध दिया| थोड़ी दूर पर गाय के पास ही बछड़े को पतली रस्सी से बांध दिया| खुशी से अंदर आकर सो गए| प्रात काल उठकर गाय का दूध निकाला| एक थ न का दूध गाय के बच्चे के लिए छोड़ दिया| बच्चा उछाल उछाल कर गौ माता का दुग्ध पान कर रहा था| शर्मा जी और उनकी पत्नी खुश होकर दोनों को निहार रहे थे|

गाय के दूध की खीर बनाकर अड़ोस पड़ोस में सबको बांटने के बाद दोनों पति पत्नी भोजन कर विश्राम करने लगे|

आस पड़ोस की महिलाएं सर्वप्रथम बनाई हुई गाय की रोटी गाय को खिलाने आ जाया करती थी| साथ ही में सब्जियों फलों के छिलके आटे का चोकर इत्यादि गाय को खाने के लिए दे दिया करती थी| यह क्रम कई दिनों तक चलता रहा|

एक दिन अचानक गाय ने खाना पीना बंद कर दिया गाय का पेट फूलता जा रहा था| कुछ खाना-पीना ना मिलने के कारण गाय बहुत कमजोर होकर निढाल हो गई|

पशु चिकित्सक प्रतिदिन आते इंजेक्शन लगाते दवाइयां देकर चले जाते| लेकिन गाय को कुछ भी स्वास्थ्य लाभ नहीं हो रहा था| चिंतित शर्मा दंपति भरसक प्रयास करते| लेकिन सब कुछ विफल हुआ|

हुआ वही जो नहीं होना चाहिए था| गाय को मृत घोषित किया गया| पोस्टमार्टम हुआ| गाय के पेट में से ढेर सारी पॉलिथीन निकली| पॉलिथीन एकत्र होने के कारण पेट में परेशानी तो हुई ही| वही पॉलिथीन मृत्यु का कारण बनी.|

सभी लोग दुखी मन से देख रहे थे| आप संवेदना हो के सिवा कुछ भी बाकी नहीं था|

था तो केवल प्रश्नचिन्ह,,,,,,,,,?

*डॉ साधना शुक्ला*

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