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गोरखनाथ मंदिर में सीएम योगी का जनता दर्शन, 200 से अधिक शिकायतों पर दिया समाधान का भरोसा
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भोपाल - मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का माना आभार
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भोपाल - “एक बगिया माँ के नाम” परियोजना 15 अगस्त से होगी शुरू : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
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भोपाल - मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का माना आभार
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मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पूर्व विधायक शिवशंकर समाधिया के निधन पर किया दु:ख व्यक्त
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खंडवा- लाखों भक्तों की आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है श्री धूनी वाले दादा का मंदिर : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
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भोपाल- मुख्यमंत्री डॉ. यादव से मिले अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री आर्य
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चिकित्सा सेवा है मानवता की सबसे बड़ी सेवा: राष्ट्रपति मुर्मु
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मणीमहेश यात्रा के लिए श्रद्धालुओं ने सुविधाओं की मांग की
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गोरखपुर में राष्ट्रपति एम्स के दीक्षांत समारोह में शामिल हुई
Kahani
पितृ-दिवस पर पिता को सादर श्रद्धा सुमन समर्पित : उषा सक्सेना
पिता बीज है -हम बीजी है आत्म-रूप उत्पन्न हुये ।वह छत हैउस घर कीजिसकी छाँव में रहतै ।माँ जननी तोपिता जनक है जो सदा सुरक्षा देता है।मां की ममतासे हटकर जोअनुशासन को देता है। अपना नाम हमें वह देकर सम्मानित जीवन देता है ।उसका गर्व सदा गौरव में संतान में लक्षित होता है ।पिता हमारेकठिन राहों में हमें चलना...
Managing Editor | 18 Jun 2023 8:06 PM ISTRead More
सन्1582 में दिवेर छापली का युद्ध हुआ ।जो राजस्थान के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है ।
महाराणा प्रताप:- ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की तृतीया रविवार संवत 1597 तथा अंग्रेजी तारीख के अनुसार 9 मई 1540 को उनका जन्म राजस्थान के कुम्भलगढ़ में हुआ था । उदयपुर मेवाड़ के सिसौदिया राजवंश के महाराणा उदयसिंह उनके पिता एवं कुम्भल गढ़ की राजकुमारी महारानी जयवन्ता बाई उनकी माता थी ।वह उस राजवंशकुल...
समीक्षा:-ब्रह्माण्ड के रहस्य , गतांक से आगे: उषा सक्सेना
सृष्टि का रहस्य समझने के लिये हमें इसके आधार स्तम्भ खोजने होंगे । पृथ्वी पर सबसे पहले जल प्रलय के बाद हिमालय की उत्पत्ति हुई और उस पर नौका में सवार होकर मनु अपनी पत्नी शतरूपा और सप्त ऋषि आये । इस प्रकार से ऋषि मुनियों का मनु के साथ धरा पर अवतरण हुआ । मनु और शतरूपा की संतानों से ही ऋषियों के...
*लघुकथा*. *संवेदना - साधना शुक्ला
₹35000 में गाय खरीद कर लाए शर्मा जी बड़ी प्रसन्नता से थाली में गुड रखकर फूल माला अक्षत रोली से गाय बछड़े की पूजा कर रहे थे| गाय को बांधने के स्थान पर आटे से स्वास्तिक बनाकर चारों कोनों पर कुमकुम और सिंदूर का तिलक लगाया| फिर गाय का खूंटा गाड़ कर गाय को लाकर खूंटे से बांध दिया| थोड़ी दूर पर गाय के...
तपस्या से पाप को पुण्य में बदलने के लिये ही कापालिक बना
क्रमांक:-(६२) खजुराहो कलातीर्थकलाकार का प्रेम:- "कापालिक " महाराज को शांत कर सिंहासन पर बिठाते हुए कापालिक ने कहा - "आपके लिये सत्य को जानना बहुत आवश्यक है ।जब तक आप सत्य नही जानेंगे उसके पीछे छिपे कारण को नही समझ पायेंगे ।इस संसार में कोई भी कार्य विना कारण के नही होता । हर कार्य के...
कोई ऊंचा नीचा नहीं कोई छोटा बड़ा नहीं| सब पढ़ेंगे वेद सब सुनेंगे वेद| सबके आचरण शुद्ध होंगे
*स्वामी दयानंद सरस्वती**संक्षिप्त कथा*स्वामी जी का प्रवचन हो रहा था बड़ा शास्त्रार्थ चल रहा था हजारों की संख्या में दर्शक और श्रोता गणमान्य पुरुषों से भरा हुआ पंडाल| सभी बड़े ध्यान मग्न होकर सुन रहे थे| उसी समय एक पुरुष जो बड़े ध्यान से स्वामी जी की बात सुन रहे थे| अचानक से उन्हें ध्यान नहीं रहा...
क्रमांक :-(५०)खजुराहो कलातीर्थ कलाकार का प्रेम :-
मां के जातेही विश्व मोहिनी अपने पर्यंक पर शयन करते ही सो गई निश्चिंतता की गहरी नींद । अब उसे किसी बात की चिंता नही थी ।गहरी निद्रा में ही वह आज फिर उसी स्वपन लोक में विचरण करने लगी । बार-बार ही कापालिक का चेहरा उसके सामने आ जाता और वह भयभीत हो जाती ।ऐसा क्या था उसके मन में जो वह कापालिक से...
क्रमांक (४९ ) खजुराहो कलातीर्थ कलाकार का प्रेम :-
दिन भर के श्रमसाध्य परिश्रम से थकी विश्वमोहिनी जब भाई धंग एवं परिचारिकाओं के साथ राजभवन पहुंची तो सांझ होने लग गई थी ।रात के अंधेरे से बचने के लिये पक्षी भी अपने अपने घोंसलों की ओर नभ में विचरण करते जा रहे थे ।पशु भी चल दिये थे अपने ठिकानों की ओर जहां उनकेशिशु उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे ।...
क्रमांक (४८) खजुराहो कलातीर्थ कलाकार का प्रेम :-
दिन भर के श्रमसाध्य परिश्रम से थकी विश्वमोहिनी जब भाई धंग एवं परिचारिकाओं के साथ राजभवन पहुंची तो सांझ होने लग गई थी ।रात के अंधेरे से बचने के लिये पक्षी भी अपने अपने घोंसलों की ओर नभ में विचरण करते जा रहे थे ।पशु भी चल दिये थे अपने ठिकानों की ओर जहां उनकेशिशु उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे ।...
क्रमांक:-(४७)खजुराहो कलातीर्थ कलाकार का प्रेम :-
कापालिक चित्रलेखा जी और विश्वजित से बड़ी गंभीर मुद्रा में कह रहा था -"कालयोग से ही हम सभी का एकदूसरे के साथ संयोग और वियोग होता है । मनुष्य के सारे रिश्ते नाते पति पत्नी भाई बहिन ,माता पिता ,स्थान धन सम्पत्ति ऐश्वर्य,शत्रू और मित्र सब भाग्य से ही पूर्व जन्म के निर्धारित कर्मों के आधार पर एक...
क्रमांक :-(४५) खजुराहो कलातीर्थ, कलाकार का प्रेम :-
राजकुमार धंग को सैनिकों की एक टुकड़ी के साथ मैदान मे युद्धाभ्यास करते देख अचानक राजशिल्पी विश्वकर्मा के मस्तिष्क में विचार आया क्यों न युद्ध कला का भी कालिंजर विजय के प्रतीक केरूप में चित्रांकन करते हुये इसे भी अपनी प्रस्तर शिल्प कला में मूर्ति के रूप में उंकेर कर टंकण करें ।इससे हमारे राजा ...
Meena Pandey | 29 Jan 2023 11:11 PM ISTRead More
विचार : साधना शुक्ल ,भारत भूमि के हर खंड खंड में स्त्रियों की बलि चढ़ती है आज भी चल रही है
विचार : साधना शुक्ल भारत भूमि पर ना जाने कितनी बार आक्रमण हुए कितनी बार हम गुलाम हुए| तड़पते हुए कितने प्राणों के दंश कितने अत्याचार पीड़न शोषण व्यभिचार बलात्कार क्या कुछ सहन नहीं किया| आज भी यह सिलसिला थमा नहीं है| आज भी हम वहीं भी झेल रहे हैं जो सदियों पहले भारतीय महिलाओं ने बच्चों ने ...
Meena Pandey | 29 Jan 2023 11:04 PM ISTRead More