- Nation
आदित्यपुर में बिल्डिंग के छत से गिरकर 13 वर्ष के किशोर की हुई मौत *मामले को लेकर थाना का घेरा
- Health
टीबी से निपटने में बाधक सदियों से चली आ रही असमानताएं और अन्याय :शोभा शुक्ला, बॉबी रमाकांत – सीएनएस
- Film Studies
German parliament agrees to new support for film industry
- Nation
A major portion of Asia's largest freshwater lake, Wular Lake, has frozen
- International
Secretary Blinken’s Telephone Call with Republic of Korea FM Cho
- International
Prime Minister Narendra Modi meets Indian migrant workers at Gulf Spic Labour Camp in Kuwait
- International
Mild earthquake jolts Nepal, Damage assessment begins after Bajura earthquake
- National
अंबेडकर विश्वविद्यालय में चल रहा डबल रोल, फ़िल्मो जैसी कहानी सच साबित हो रही
- Political
बाबसाहेब अंबेडकर विश्वविद्यालय में अराजकता की स्थिति, गृहमंत्री का पुतला फूंक ब्राह्मण वाद को बताया आतंकवाद
- Grants
प्रो एन एम पी वर्मा की याचिका पर हाईकोर्ट ने दिया ऐतिहासिक निर्णय, मिनिस्ट्री को लगा झटका
Kahani
पितृ-दिवस पर पिता को सादर श्रद्धा सुमन समर्पित : उषा सक्सेना
पिता बीज है -हम बीजी है आत्म-रूप उत्पन्न हुये ।वह छत हैउस घर कीजिसकी छाँव में रहतै ।माँ जननी तोपिता जनक है जो सदा सुरक्षा देता है।मां की ममतासे हटकर जोअनुशासन को देता है। अपना नाम हमें वह देकर सम्मानित जीवन देता है ।उसका गर्व सदा गौरव में संतान में लक्षित होता है ।पिता हमारेकठिन राहों में हमें चलना...
Managing Editor | 18 Jun 2023 8:06 PM ISTRead More
सन्1582 में दिवेर छापली का युद्ध हुआ ।जो राजस्थान के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है ।
महाराणा प्रताप:- ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की तृतीया रविवार संवत 1597 तथा अंग्रेजी तारीख के अनुसार 9 मई 1540 को उनका जन्म राजस्थान के कुम्भलगढ़ में हुआ था । उदयपुर मेवाड़ के सिसौदिया राजवंश के महाराणा उदयसिंह उनके पिता एवं कुम्भल गढ़ की राजकुमारी महारानी जयवन्ता बाई उनकी माता थी ।वह उस राजवंशकुल...
समीक्षा:-ब्रह्माण्ड के रहस्य , गतांक से आगे: उषा सक्सेना
सृष्टि का रहस्य समझने के लिये हमें इसके आधार स्तम्भ खोजने होंगे । पृथ्वी पर सबसे पहले जल प्रलय के बाद हिमालय की उत्पत्ति हुई और उस पर नौका में सवार होकर मनु अपनी पत्नी शतरूपा और सप्त ऋषि आये । इस प्रकार से ऋषि मुनियों का मनु के साथ धरा पर अवतरण हुआ । मनु और शतरूपा की संतानों से ही ऋषियों के...
*लघुकथा*. *संवेदना - साधना शुक्ला
₹35000 में गाय खरीद कर लाए शर्मा जी बड़ी प्रसन्नता से थाली में गुड रखकर फूल माला अक्षत रोली से गाय बछड़े की पूजा कर रहे थे| गाय को बांधने के स्थान पर आटे से स्वास्तिक बनाकर चारों कोनों पर कुमकुम और सिंदूर का तिलक लगाया| फिर गाय का खूंटा गाड़ कर गाय को लाकर खूंटे से बांध दिया| थोड़ी दूर पर गाय के...
तपस्या से पाप को पुण्य में बदलने के लिये ही कापालिक बना
क्रमांक:-(६२) खजुराहो कलातीर्थकलाकार का प्रेम:- "कापालिक " महाराज को शांत कर सिंहासन पर बिठाते हुए कापालिक ने कहा - "आपके लिये सत्य को जानना बहुत आवश्यक है ।जब तक आप सत्य नही जानेंगे उसके पीछे छिपे कारण को नही समझ पायेंगे ।इस संसार में कोई भी कार्य विना कारण के नही होता । हर कार्य के...
कोई ऊंचा नीचा नहीं कोई छोटा बड़ा नहीं| सब पढ़ेंगे वेद सब सुनेंगे वेद| सबके आचरण शुद्ध होंगे
*स्वामी दयानंद सरस्वती**संक्षिप्त कथा*स्वामी जी का प्रवचन हो रहा था बड़ा शास्त्रार्थ चल रहा था हजारों की संख्या में दर्शक और श्रोता गणमान्य पुरुषों से भरा हुआ पंडाल| सभी बड़े ध्यान मग्न होकर सुन रहे थे| उसी समय एक पुरुष जो बड़े ध्यान से स्वामी जी की बात सुन रहे थे| अचानक से उन्हें ध्यान नहीं रहा...
क्रमांक :-(५०)खजुराहो कलातीर्थ कलाकार का प्रेम :-
मां के जातेही विश्व मोहिनी अपने पर्यंक पर शयन करते ही सो गई निश्चिंतता की गहरी नींद । अब उसे किसी बात की चिंता नही थी ।गहरी निद्रा में ही वह आज फिर उसी स्वपन लोक में विचरण करने लगी । बार-बार ही कापालिक का चेहरा उसके सामने आ जाता और वह भयभीत हो जाती ।ऐसा क्या था उसके मन में जो वह कापालिक से...
क्रमांक (४९ ) खजुराहो कलातीर्थ कलाकार का प्रेम :-
दिन भर के श्रमसाध्य परिश्रम से थकी विश्वमोहिनी जब भाई धंग एवं परिचारिकाओं के साथ राजभवन पहुंची तो सांझ होने लग गई थी ।रात के अंधेरे से बचने के लिये पक्षी भी अपने अपने घोंसलों की ओर नभ में विचरण करते जा रहे थे ।पशु भी चल दिये थे अपने ठिकानों की ओर जहां उनकेशिशु उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे ।...
क्रमांक (४८) खजुराहो कलातीर्थ कलाकार का प्रेम :-
दिन भर के श्रमसाध्य परिश्रम से थकी विश्वमोहिनी जब भाई धंग एवं परिचारिकाओं के साथ राजभवन पहुंची तो सांझ होने लग गई थी ।रात के अंधेरे से बचने के लिये पक्षी भी अपने अपने घोंसलों की ओर नभ में विचरण करते जा रहे थे ।पशु भी चल दिये थे अपने ठिकानों की ओर जहां उनकेशिशु उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे ।...
क्रमांक:-(४७)खजुराहो कलातीर्थ कलाकार का प्रेम :-
कापालिक चित्रलेखा जी और विश्वजित से बड़ी गंभीर मुद्रा में कह रहा था -"कालयोग से ही हम सभी का एकदूसरे के साथ संयोग और वियोग होता है । मनुष्य के सारे रिश्ते नाते पति पत्नी भाई बहिन ,माता पिता ,स्थान धन सम्पत्ति ऐश्वर्य,शत्रू और मित्र सब भाग्य से ही पूर्व जन्म के निर्धारित कर्मों के आधार पर एक...
क्रमांक :-(४५) खजुराहो कलातीर्थ, कलाकार का प्रेम :-
राजकुमार धंग को सैनिकों की एक टुकड़ी के साथ मैदान मे युद्धाभ्यास करते देख अचानक राजशिल्पी विश्वकर्मा के मस्तिष्क में विचार आया क्यों न युद्ध कला का भी कालिंजर विजय के प्रतीक केरूप में चित्रांकन करते हुये इसे भी अपनी प्रस्तर शिल्प कला में मूर्ति के रूप में उंकेर कर टंकण करें ।इससे हमारे राजा ...
Meena Pandey | 29 Jan 2023 11:11 PM ISTRead More
विचार : साधना शुक्ल ,भारत भूमि के हर खंड खंड में स्त्रियों की बलि चढ़ती है आज भी चल रही है
विचार : साधना शुक्ल भारत भूमि पर ना जाने कितनी बार आक्रमण हुए कितनी बार हम गुलाम हुए| तड़पते हुए कितने प्राणों के दंश कितने अत्याचार पीड़न शोषण व्यभिचार बलात्कार क्या कुछ सहन नहीं किया| आज भी यह सिलसिला थमा नहीं है| आज भी हम वहीं भी झेल रहे हैं जो सदियों पहले भारतीय महिलाओं ने बच्चों ने ...
Meena Pandey | 29 Jan 2023 11:04 PM ISTRead More