हैरत की बात है की जहाँ एक ओर विश्व भर के लीडर कोरोना वायरस को लेकर इतने चिंतित है वही हमारे यहाँ अभी भी लोग धरना, प्रदर्शन और हटधर्मिता प्रदर्शित कर रहे है | जर्मन चांसलर कह रही है की विश्व दुसरे विश्वा युद्ध के बाद की सबसे बड़ी त्रासदी की ओर है तो वही शाहीन बाग से लेकर अन्य जगहों पर भारत में प्रदर्शन चल रहे है |
हद तो ये है की आपकी जिद लाखो लोगो की जान ले सकती है पर आप समाज के उपर अपने धर्म और हक़ की बात को रख रहे है | अब समय आ गया है की ऐसे लोग जो नियम और कानून को मानने की जगह अपने धर्म की दुहाई दे रहे है उन्हें अंडमान के द्वीपों पर पहुचाने का यही सही समय है |
कोई भी धर्म भारत से बड़ा नही हो सकता और आप अगर ये कह रहे है की आप नमाज करेंगे और वो भी सामूहिक रूप से या पूजा सामूहिक रूप से करना चाहते है तो आप अंडमान में जाकर समूह गान करिए हमें कोई आपत्ति नहीं होगी | आज भारत में ऐसे एक फ़ोर्स खड़ी हो गयी है जो धर्म को नियम से उपर बता रही है ऐसे लोगो को तुरुन्त पकड़ कर अंडमान में इनके धर्म के साथ भेज देने का समय है |
कोई भी समाज कुछ लोगो के पागलपन और धार्मिक उन्माद पर नहीं चल सकता | विरोध की एक सीमा है और अगर कोई उसे लांघता है तो उसको सही जगह पहुचाने का काम सरकार का है | आज शाहीन बाग एक ऐसा स्थल हो गया है जो नियम को धर्म के साथ जोड़ कर देखने का काम करने वाले लोगो का अड्डा बनता जा रहा है |
भारत को न तो इस्लाम के कानून की जरुरत है न हिन्दू नियमों की \ आज जरुरत है आंबेडकर के लिखे संविधान को सही रूप से लागू करने की | अगर सरकार संविधान की सर्वोच्चता को स्थापित नहीं कर पाती है तो इससे आने वाले समय में भीड़ तंत्र को और मौका मिल जाएगा और सड़क पर चलने वाले मासूम लोगो की जान खतरे में आ जाएगी |