भारतीय सेना के पूर्व सैनिकों के निदेशालय (डीआईएवी) की स्थापना 14 जनवरी 2016 को दिल्ली छावनी में हुई थी। यह देश भर में राज्य सरकारों, एमओडी (डीईएसडब्ल्यू), डीजीआर, सीजीडीए, बैंकों, कौशल निर्माण एजेंसियों और प्लेसमेंट भागीदारों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ लगातार बातचीत करके भारतीय सेना के सभी पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों (एनओके) के लिए 'सिंगल विंडो समाधान एवं कल्याण' तंत्र प्रदान करता है।
भारतीय सेना के पूर्व सैनिकों और एनओकेएस को प्रभावी देखभाल और सहायता प्रदान करने के लिए, दिल्ली कैंट के डीआईएवी में 16-17 मई 2019 तक एक सम्मेलन और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय सेना के पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों के साथ जुड़े मौजूदा और भविष्य की पहलों पर चर्चा करना और उन अधिकारियों से प्रतिक्रिया प्राप्त करना था जो सीधे भारतीय सेना के पूर्व सैनिकों के मामलों का संचालन कर रहे हैं।
सम्मेलन और प्रशिक्षण सत्र के दौरान पेंशन, नियम और शर्तें, वेतन और भत्ते पर हाल की नीतियों पर चर्चा की गई। विकलांगता और पारिवारिक पेंशन सहित विभिन्न प्रकार की पेंशनों पर स्पष्टीकरण दिया गया और उन पर चर्चा की गई । नौकरी के विकल्प, उपलब्ध अवसर और पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों के लिए समान करने के लिए आवश्यक कार्रवाई पर चर्चा की गई। संचार और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सहित कई संचार माध्यमों के द्वारा पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों तक पहुँचने पर प्रकाश डाला गया। कुछ केंद्रीय स्थानों पर बड़ी रैलियों की तुलना में लगातार छोटी-छोटी मुलाकातों के जरिए शारीरिक रूप से दूरस्थ स्थानों तक पहुंचने की जरूरत पर जोर दिया गया।
हितधारकों ने पूर्व सैनिक पेंशनरों और उनके परिजनों से जुड़ी समस्या क्षेत्रों तथा उनके समाधान और न्यायिक निर्णय के लिए सरकारी एजेंसियों के साथ भारतीय सेना द्वारा उठाए जाने वाले वांछित कदमों को सामने रखा। अधिकारी स्वचालित और संरचित सूचना प्रणाली (ओएएसआईएस), सेवानिवृत्त अधिकारियों के डिजिटल रिकॉर्ड अभिलेखागार (आरओडीआरए) और एचएएमआरएजेड जैसे स्वचालित सॉफ्टवेयर जिन्हें निर्बाधित इंटरफ़ेस, शिकायत निवारण और प्रभावी संचार के लिए विकसित किया गया था, के बारे में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता रेखांकित की गई। शारीरिक रूप से छोटी टीमों के साथ उन गांवों तक पहुंचने के लिए जहां पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों रहते हैं, उन्हें आवश्यक सहायता और देखभाल प्रदान करने के लिए ‘सैन्य परिजनों का वर्ष’ अभियान के कार्यान्वयन पर बल दिया गया जिससे कि उन्हें आवश्यक सहायता और देखभाल उपलब्ध करायी जा सके।
भारतीय सेना के एडजुटेंट जनरल लेफ्टिनेंट जनरल अश्विनी कुमार ने अपने मुख्य भाषण के दौरान बताया कि चूंकि पूर्व सैनिकों ने राष्ट्र की सेवा में अपने प्रमुख वर्ष दिए थे, इसलिए वे हमेशा हमारे ध्यान केंद्र में रहेंगे।