पांच राज्यो के चुनाव में पार्टी बदलने का सिलसिला शुरू हुआ।दल के साथ नेताओ के बोल भी बदल गए।एक दल में रहते हुए दूसरे दल के नेताओ पर जुबानी तीर चलाने वाले नेता पार्टी बदलते ही जुबान बदल लें पर नीयत कैसे बदल जाती है ।क्रिकेट की पिच पर आक्रमक रहने वाले नवज्योतसिह सिद्दु राजनीति की पिच पर भी जुबान से आक्रामक बल्लेबाजी करते है।भाजपा कांग्रेस में रहते सिद्दु एक दूसरे पर हिट करना नही चुके ।सिद्दु को पहले कांग्रेस मुन्नी से भी ज्यादा बदनाम लगती थी।भाजपा पहले माँ लगती थी।कांग्रेस को जीभर के कोसते थे।यहाँ तक राहुल को पप्पू तक कह दिया था।वे जितना विरोध अकाली दल का करते थे तो कैप्टन अमरेन्दरसिह से भी खफा रहते थे।उंन्होने कैप्टन पर पर्दे के पीछे बादल के परिवार की मदद का आरोप लगाया।उनकी पत्नी ने कैप्टन को कुसी का भूखा तक कहा था लेकिन कैप्टन की नजर में सिद्दु जोकर थे।सिद्दु ने आवाज ए पंजाब बनाने की घोषणा की थी तो अमरेन्दरसिह ने उनकी पार्टी को तांगा पार्टी कहा था।एक दूसरी पार्टी में रहते राजनीति में यह सब संभव है।लेकिन गीले शिकवे दूर कर कैप्टन ने नवज्योतसिह को कांग्रेस में शामिल किए।लेकिन कांग्रेस में लंबे चले पार्टी ड्रामा में कैप्टन का भोग लिया।कैप्टन को इस्तीफा दिलाने के बाद सिदू को मुख्यमंत्री बनना था।लेकिन आलाकमान की सूझबूझ से चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया।आज भी सिद्दु के पेट मे दर्द है।पार्टी में उच्च स्तर की भागीदारी निभाने और पंजाब कांग्रेस का मसीहा बनने की मनोवृत्ति लिए भले पार्टी अध्यक्ष के पद पर है परन्तु अगर कांग्रेस की सतरंगी जीत हो जाती है तो वे मुख्यमंत्री पद का दांव जरूर खेलेंगे।उनकी धारणा थी कि लोग कहते है कि सिदू पार्टी को माँ बोलता था।माँ तो कैकयी भी थी।नवज्योतसिह सिद्दु की बैटिंग अभी चल रही है।सिद्दु ने कैप्टन के साथ कैकयी जैसा व्यवहार किया है।वे अभी भी भूले नही है।पंजाब में जिस तरह कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को दरकिनार कर दिया है।उससे चुनाव में समीकरण बनते बिगड़ते तो रहेंगे।लेकिन जो जनता चाहेगी वो ही होगा।नवज्योतसिह हर बात पर चेलेंज की बात करते है।सिद्दु ने कहा कि अगर इस बार जनता के काम नही हुए तो मैं राजनीति से सन्यास ले लूंगा।बार बार जनता को भरोसा दिलाते है।हर बार जनता से वादे करते है।लेकिन जनता के काम नही होते है।पांच साल से पंजाब कांग्रेस सत्ता में है।नवज्योतसिह सिद्दु पार्टी अध्यक्ष है।जबकि अब तक जनता से वादा ही कर रहे है।आप को पांच साल का समय दिया गया।लेंकिन आपने जनता की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।पांच साल बुराई और पार्टी में संघर्ष करते रहे।अब जनता से फिर से वादा कर काम नही होने पर राजनीति सन्यास लेने की बात एक झमेला ही है।शिरोमणि अकाली दल नेता विक्रमसिंह मजीठिया पर निशाना साधते हुए उन्हें परचा माफिया करार दिया।मजीठिया ने कई लोगो के खिलाफ केस दर्ज कराए है।जबकि नवज्योतसिह ने कहा कि मैंने ऐसा नही किया ।चुनावी जुमलेबाजी से जनता वाकिफ है।उन्हें कोई नई पैतरेबाजी करनी चाहिए जिससे जनता बेवकूफ बन सके।
*,कांतिलाल मांडोत *