गुजरात के अहमदाबाद में सीरियल ब्लास्ट मामले में यूपीएपी के तहत दोषी करार*

Update: 2022-02-09 10:41 GMT


गुजरात के अहमदाबाद में एक साथ 22 स्थलों पर हुए दिल दहलाने वाले मामले में 13 साल तक चले मुकदमें में 49 को दोषी करार दिया है।जबकि 28 व्यक्तियों को कोर्ट ने बरी किया है।हदयविदारक घटना की देश मे उसके बाद पुनरावृति नही हुई।इस घटना में 56 व्यक्तियों की दर्दनाक मौत और 226 अन्य व्यक्ति घायल हुए।इतना बड़ा षड्यंत्र देश में पनपा जिसका अध्याय काली स्याही से अंकित किया गया।13 साल से अविरल चली उक्त मुकदमे की सुनवाई के बाद कोर्ट दोषियों का आतंकी कृत्य मानकर दोषी ठहराया है।इस बीच सूरत में इंडियन मुजाहिदीन ने 15 बम्ब का झाल बिछाया था। वराछा क्षेत्र में सारे दिन चहल पहल रहती है।मुख्य मार्ग पर रखे बम और बम फटे नही ।अगर बम फट जाते तो भरचक रहने वाला इस इलाके में लाशों के ढेर लग जाते थे। यूएपीए में महत्तम सजा फांसी है।49 आतंकियों को फांसी की सजा मिलती है तो देश की आजादी और आजादी के पूर्व इतने दोषियों को एक साथ सजा मिलने का यह पहला मौका है और यह ऐतिहासिक फैसला होगा।अनलोकुल एक्टिविटीज एक्सप्लोजीव सब स्टन्स और डेमेज टू पब्लिक एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया।बम ब्लास्ट में निर्दोष लोगों के चिथड़े चिथड़े उड़ गए थे।


अभियोजन पक्ष ने फांसी की मांग की है।सात राज्यों की जेलों में बंद सभी दोषियों में 22 गुजरात के साबरमती जेल में बंद है।सीरियल ब्लास्ट एक घन्टे तक थर्राता रहा।इंसानियत का चोला ओढ़कर राक्षक प्रवृति के लोगो को फांसी की सजा के लिए मांग की है।अहमदाबाद को दहलाने वाले आतंकियों ने सूरत में भी अनेक बम रखे थे।अहमदाबाद के बाद सूरत को उड़ाने की साजिश रचने वाले इंडियन मुजाहिदीन के कारस्तान का तब भंडा फूटा तब बम ब्लास्ट नही हुए।हाहाकार मचाने वाली इस घटना की दहशत आज भी लोगो के दिलोदिमाग में है।इस घटना की करुंन्तिका की भयावहता से आम नागरिक ख़ौफ़ज़दा है।साबरमती जेल में सुरंग खोदी गई थी।सुरंग कांड में भी दोषी करार दिया गया है।

*कांतिलाल मांडोत सूरत*

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