राज्यपाल धनखड़ और टीएमसी सांसद ममता बनर्जी के बीच नोकझोंक पिछले कई दिनों से चली है।राज्यपाल संवैधानिक पद पर आरूढ़ है।ममता ने सभी मर्यादा लांघते हुये उनको शैतान कहा।ममता भाजपा को लेकर भी अनेक तर्क वितर्क करती है।पश्चिमी बंगाल में हिन्दुओ पर हुए अत्याचार को लेकर भी ममता की बहुत किरकिरी हुई थी।मुख्यमंत्री के नाते उनकी अपनी जवाबदेही है।लेकिन उसके उपरांत जिस भाषा का इस्तेमाल राज्यपाल के लिए किया गया था वह निंदनीय है।घृणास्पद है।मुख्यमंत्री के शब्द घटिया कैसे हो सकते है।धनखड़ और ममता के बीच झगड़े की चिंगारी पिछले दिनों दिल्ली पहुंची थी।भाजपा को ममता ने राज्यपाल को हटाने के लिए भी दबाव बनाया।ममता ने अमर्यादित भाषा का प्रयोग कर उनके संसदीय क्षेत्र हावड़ा में नही घुसने देने की धमकी दी है।हावड़ा के दास नगर में जय हिंद वाहिनी की और से आयोजित विरोध सभा को अपने संबोधन में राज्यपाल पर अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए उनको राज्यपाल के नाम पर कलंक बताया।मुस्लिम तुष्टिकरण के बावजूद हिन्दुओ पर अत्याचार नजरअंदाज किया जाता है।
ममता की दिल्ली पर नजर है और उनको प्रधानमंत्री बनने की महत्वकांशा के घोड़े दौड़ रहे है।जिससे भाजपा का कट्टर विरोधी है।बंगाल में साम्प्रदायिक मतभेद हर समय उभर कर सामने आता ही रहता है।ममता के कार्यकाल में ही शिव मंदिर खंडित किया गया था।जिससे साम्प्रदायिक तनाव बढ़ गया था।ममता ने तो दुर्गा पूजा पर भी अभूतपूर्व प्रतिबंध लगाया था।जिससे हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद हिन्दू समाज ने चैन की सांस ली थी।ममता के कार्यकाल में पुलिस वाले और जिलाधीश को पीटा गया था।धुलागढ़ में साम्प्रदायिक तनाव भी जग जाहिर रहा है।भारत मे हिन्दू समाज के प्रति द्वेष भावना रखी जा रही है वह दुःखद है।जनता का रजनीति करण नही होना चाहिए।पार्टी के बीच वैचारिक लड़ाई संभव है लेंकिन जातिवाद के इस झमेले से नेताओ को आरोप लगाने से पूर्व सोचना चाहिए कि मतदाता कुर्सी देना जनता है तो धूल चटाना भी खूब आता है।
*कांतिलाल मांडोत सूरत*