:भारतीयों (नागरिक और छात्र) के लिए यूक्रेन की दर्दभरी कहानी सचमुच यही कह रही है कि ''मेरे देश को आत्मनिर्भर'' बनाना बहुत जरुरी है. जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही ''आत्मनिर्भर भारत'' की कल्पना को साकार करने के लिए उसपर काम करना शुरू कर दिया है. आखिर क्यों हमारे छात्र शिक्षा के लिए विदेशों पर निर्भर हों ? क्यों बेरोजगार यहाँ से परदेस का रुख करें ? ये दो ही देश की इतनी बड़ी समस्या है कि यदि किसी देश में अशांति होती है तो सबसे पहले हमारे देशवासी जो दूसरे देशों पर निर्भर हैं उनपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है. इस वजह से सरकार और पूरा देश चिंतित हो जाता है. यह बात सच है कि आधुनिक युग में एक-दूसरे के बिना विश्व का कोई भी देश आगे नहीं बढ़ सकता है. हर चीज हर जगह उपलब्ध नहीं हो सकती।
इसलिए सभी को एक-दूसरे पर निर्भर रहना अनिवार्य हो जाता है. किन्तु फिर भी हम मूलभूत सुविधाएं अपने ही देश में ज्यादा से ज्यादा जुटाएं या उसके प्रबंध का प्रयास करें तो बहुत ज्यादा छोटी-छोटी सुविधाओं के लिए हमें किसी पर निर्भर नहीं होना पड़ सकता है. मोदी सरकार के मूलमंत्र ''आत्मनिर्भर भारत'' को सभी के सहयोग से तेजी से आगे बढ़ाया जाना चाहिए ताकि हम मूलभूत सुविधाएं (शिक्षा-रोजगार) और वस्तुएं अपने देश में ही आसानी से प्राप्त कर सकें. एक और नारा दिया गया है बरसों पहले "स्वदेशी अपनाओ" का. ये भी ''आत्मनिर्भर भारत" निर्माण में सहयोगी सिद्व हो रहा है और होगा भी. क्योंकि देश में ही आयातित के उत्पाद से बेहतर हमारे यहाँ उसका उत्पादन होगा तो हम चीन जैसे (मुंह में व्यापार बगल में छुरी) दो मुहें देश पर से अपनी निर्भरता घटाने में सफल होंगे साथ ही यहाँ के लोगों को रोजगार भी मिलेगा और व्यापार भी. इस तरह ''आत्मनिर्भर भारत'' के दो सबसे बड़े फायदे होंगे। पहला शिक्षा-रोजगार के लिए पलायन रुकेगा और दूसरा दूसरे देश के उत्पाद पर निर्भरता कम होगी जिससे विदेशी मुद्रा की बचत होगी व हमारा राजस्व बढ़ने से देश के विकास कार्यों में तेजी आएगी....शकुंतला महेश नेनावा