अखिलेश (टीपू ) चले यूपी के सुलतान बनने बन गए पप्पू

Update: 2022-03-11 12:32 GMT


नाम मे क्या रखा है।जो रखा है काम बोलता है।पांच साल के भाजपा शासनकाल में योगी की नाकामियां ही गिनाई।अखिलेश ने तो यहाँ तक कह दिया कि सबकुछ विकास् मेंरे समय मे ही हुआ है।सैफई राजवंश के चश्मो चिराग टीपू अखिलेश को उम्मीद थी कि यूपी की सियासी जंग में उनका नाम बोलेंगा।एक्जिट पोल को भी नकारने वाले अखिलेश ने तीनसौ सीटे बताई थी।कहा गई सभी सीटे?क्या ईवीएम निगल गया।अपने आप को तस्सली देने के लिए जुठ का सहारा लेना पड़ा।भरोसा इस कदर था कि अपने सारे रिस्तेदारो का मुह बन्द कर दिये।जीत हमारी ही है।माता पिता ने इस लिए नाम रखा कि आने वाले समय टीपू सुलतान की तरह बहादुर बनेगा।टीपू ऐसा सुल्तान बना की सूबे में हार ही गले लगा दी।


चाचा को अहमियत नही दी।रालोद से गठबंधन करने के बाद भी हार ही नसीब हुई।उनको अपने परिवार को तव्वजो नही दी।पिता को कोर्ट में खड़ा किया।तीन महीने तक चला समाजवादी ड्रामा के कारण अखिलेश हारे और इस बार विकास की आंधी की चपेट में आए ।करीबियों ने सलाह दी कि वो दागी मंत्रियों को टिकट नही दे।लेकिन उन्होंने एक नही सुनी।तमंचावादी करार से अखिलेश को मतदाताओ ने धराशायी कर दिया।गठबंधन किया लेकिन सफलता नही मिली।पार्टी में खलबली मच गई।आरोप लगाने में माहिर अखिलेश ने वाराणसी के ईवीएम हैक करने का आरोप लगा ही दिया।पार्टी कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया।आखिर समझ मे आया कि ईवीएम हैक नही होता है।विदेशी डिग्री की चकाचौंध ने अज्ञान का अंधेरा छा गया।10 मार्च को बुलडोजर बाबा अपने मठ में चले जाएंगे और मैं सूबे की सियासत की बागडोर थाम लूंगा।साइकिल की सवारी करने वाले केशव प्रसाद मौर्य को जनता ने धूल चटा दी।भाजपा से निकाले गए विधायको ने साइकिल की सवारी इस लिए की जा रही है कि इस बार अखिलेश भैया ही आएंगे।लखीमपुर खीरी की सभी सीटे भाजपा की झोली में है।अखिलेश का किसान आंदोलन भेंट चढ़ गया।टीपू की चाल कामयाब नही हुई।ये वो साइकिल है जिसका पुर्जा पुर्जा जोड़कर नेताजी ने तैयार की थी।


बाप बेटे के झगड़े और रिस्तेदारो के आपसी झगड़ो में साइकिल को अनेक बार नीचे पटकी जा चुकी है।उसका पुर्जा पुर्जा ढीला हो चुका है।दूसरी और सूबे में भ्रष्टाचार और गुंडई का बोझ और तीसरी और चाचा का बोझ ।चाचा और पापा को उतार दिया गया।अब साइकिल रेंगती है और बार बार पंचर भी होती है।साइकिल नई खरीदा जाना चाहिए।10मार्च को साइकिल जब मंजिल तक पहुंची तो महफ़िल लूट चुकी थी।ढोल नंगाड़े बज रहे थे।मोदी मोदी का शोर था।मिठाइया बांटी जा रही थी।बहिन का हाथी कही गुम हो गया था।कांग्रेस की बुरी हालत हो चुकी थी।टीपू अपनी टूटी साइकिल के साथ उदास खड़े थे।टीपू चले सुलतान बनने बन गए पप्पू।

*कांतिलाल मांडोत सूरत*

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