योगी आदित्यनाथ सूबे के दूसरी बार मुख्यमंत्री बन गए।सन्यासी से सिंहासन तक सफर कर सबसे बड़े राज्य के दूसरी बार मुख्यमंत्री बन गए। योगी के साथ पचास मंत्रियों ने शपथ ग्रहण की गई।रात्रिभोज भी रखा गया।बुलडोजर बाबा का तमका विपक्ष ने दिया है।योगी आदित्यनाथ यूपी के दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद इतना तो तय हो ही गया है कि जिस व्यक्ति को यूपी की बागडोर सौंपी है।वो बहुत बड़े जौहरी है।मोदी खतरों के खिलाड़ी है।उग्र हिंदुत्व की छवि लिए एक भगवाधारी को सत्ता सौंप देना और दूसरी बार सत्ता सौंपना एक राजनीतिक परिस्थिति में आसान काम नही है।भारत मे अब कट्टर हिंदुत्व का उदय हो चुका है।योगी के रूप में यूपी को आइकन मिल गया।हालांकि सन्यासी को सिंहासन पहली या आखरी बार नही है। और न ही भारतीय जनता पार्टी ने यह करतब पहली बार किया है।इसके पहले भगवाधारिणी उमा भारती मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी है।उप मुख्यमंत्री के रूप में केशव प्रसाद मौर्य सबसे उपर है।योगी के लिए उत्तरप्रदेश की दूसरी बार मुख्यमंत्री बनना भाजपा की सबसे बड़ी जीत है।इतने सालों में मोदी ने हिंदुत्ववादी छवि बनाई है।इस छवि को बनाए रखना चाहते है।यूपी में जातियों में बांटने वाले को देखना चाहिये कि हर हिन्दू जाति से उपर है।भाजपा सबका साथ सबका विकास के गुरु मंत्र से बार बार सत्ता हासिल कर रही है।उनके इन प्रयासों से सभी जातियों का एजेंडा सुशासन ही है।जिससे जाति आधारित वोट बैंक के लिए मेहनत नही करनी पड़े।जो पार्टीया तुष्टिकरण को ज्यादा अहमियत दे रही है।उन दलों का अस्तित्ब खत्म हो जाएगा।उनके इस कदम से 2024 के लोकसभा चुनाव में हिन्दू वोट संगठित हो गए है।लिहाजा,2024 में जाति कार्ड खेलने को लेकर आशंकित होंगे।भाजपा की मातृ संस्था रास्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खांचे में भी फिट बैठती है।केंद्र के लिए भाजपा ने यूपी में जो पते फेंटे है।वो कही न कही तुरुप के पतो में तब्दील हो जाएंगे।मोदी की लोकप्रियता का फायदा चार राज्यो में मिला है।पंजाब में अकाली दल से गठबंधन और कैप्टन अमरेन्दरसिह की घटती लोकप्रियता से भाजपा को भारी कीमत चुकानी पड़ी है।कांग्रेस के कुशासन से जनता ने तीसरा विकल्प चुना जिसका सीधा फायदा आम आदमी को हुआ है।भाजपा ने अमरेन्दरसिह से हाथ मिलाकर अपने ही पैरों पर कुलाड़ी मारी है।योगी की दबंग छवि है और इस के लिए यूपी के लिए योग्य मुख्यमंत्री के रूप में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने है।
*कांतिलाल मांडोत *