आजादी के ७५ वर्ष पूर्ण हो रहे हैं. देश स्वतंत्रता की ७५वीं वर्षगाँठ पर ''अमृत महोत्सव'' मना रहा है. जिसमें महात्मा गांधी के अंग्रेजों के जुल्मों को अहिंसा के सिद्वान्तों पर चलकर जीतने और देश को आजाद कराने में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदानों को याद करना और उनके सम्मान में विभिन्न सांस्कृति कार्यक्रम का आयोजन करना शामिल है. अत्यंत ही विचारणीय बात है कि गांधी के देश में आजादी के ७५वर्ष पश्चात भी कतिपय लोगों की संकुचित विचारधारा बनी हुई है जो सांप्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़कर अमन में खलल पैदा कर देती है.
नवसंवत्सर पर्व के अवसर पर हर्षोल्लास से देशभर में रैलियां निकाली गई. लेकिन राजस्थान के करौली में रैली पर कुछ असामाजिक तत्वों ने पत्थर फेंककर शांति भंग कर दी. ६ दुकानों व कुछ बाइकों में आग लगा दी गई, ४ पुलिसकर्मी सहित करीब ४२ लोग घायल हो गए, इनमें से कुछ की हालत गंभीर भी है. मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत ने शान्ति की अपील की तो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कतिपय विरोधी मानसिकता रखने और शान्ति भंग करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है. वार-त्यौहार, उत्सव व रैलियों के आयोजनों पर कानून-व्यवस्था सभी जगह चुस्त-दुरुस्त रखना स्थानीय प्रशासन का काम है.
आखिर चूक कहाँ हो गई की पलक झपकते ही उपद्रव इतना भड़क गया कि नौबत मारपीट, पत्थरबाजी और आगजनी तक पहुँच गई. जिससे अमन के शहर करौली में कडुवाहट ने जन्म ले लिया. शासन-प्रशासन को त्यौहारों को देखते हुए अपनी कानून-व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद रखना जरुरी है ताकि कोई भी अप्रिय घटना ना घटना पाए और सभी लोगो उत्साह से उत्सव का आनंद शांति से ले सकें...
महेश नेनावा