''सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास" यह प्रमुख सूत्र है भारत और भारतीय सरकार का. तभी तो घर में कोशिश की जा रही है हर तरह से आमजनों का विश्वास जीतने की. शायद यही देखकर विपक्षी तिलमिला रहे हैं कि आखिर हम कहाँ और कैसे टिकेंगे इस जनहितैषी सरकार के सामने ? क्योंकि एक ओर आमजन कुछ परेशानियों के बावजूद सरकार पर पूर्ण विश्वास बढ़ाते जा रहे हैं दूसरी ओर सड़क से लेकर संसद तक हंगामा करके व सरकार पर अनेकानेक आक्षेप लगाकर उसे जरा भी नुकसान नहीं पहुंचा पा रहे हैं उलटे सरकार निखर रही है और विपक्षियों का वर्चस्व घटता जा रहा है. विदेश नीति भी भी सारी दुनिया देश की तारीफ़ कर रही है.
कोरोनाकाल मेअनेक देशों को दवाइयों की मदद, मुसीबत में यूक्रेन को सहयोग, रूस से सामान्य सम्बन्ध, श्रीलंका को आर्थिक और आवश्यक वस्तुओं की सहायता, जापान, आस्ट्रेलिया,अमेरिका व अन्य देशों से बेहतर कूटनीतिक-राजनीतिक संबंधों को बनाये रखने में सफलता. जिस तरह महात्मागांधी ने दुनिया को अहिंसा पाठ पढ़ाया ठीक उसी तरह आज भी हम दुनिया को अहिंसा के जरिये जटिल से जटिल समस्याओं के समाधान की बात कह रहे हैं. फिर चाहे रूस-यूक्रेन युद्व की बात हो या श्रीलंका में बिगड़ती स्थिति पर नजर रखने की. मोदी सरकार शांति से ही दुनिया का विश्वास जीतने में ही विश्वास रखती है. तभी तो दुनिया के अधिकांश देश भारत के मुरीद बनते जा रहे हैं और अपने दूत हिन्दुस्तान में विचार-विमर्श हेतु भेज रहे हैं और हम उन्हें अपनी बातों के जरिये अपना विश्वासपात्र बना रहे हैं. विश्वास है कि ऐसे ही दुनिया के देशों के प्रति हमारे संबंधों में प्रगाढ़ता आती रही और हम उनका विश्वास जीतने में आगे बढ़ते रहे तो अवश्य एक दिन हम दुनिया में शान्ति दूत के नाम से जाने जा सकेंगे। क्योंकि हम युद्व से नहीं बल्कि शांति से समाधान खोजने पर विश्वास करते हैं. तभी तो हमारे दुश्मन (पाक प्रधानमंत्री इमरान खान) भी हमारे गुणगान करने में पीछे नहीं हैं. ......
शकुंतला महेश नेनावा