महंगाई का मुद्दा राज्यसभा मे गुंजा, विपक्ष का भारी हंगामा*

Update: 2022-04-04 12:41 GMT


देश मे बढ़ती महंगाई के मद्देनजर विपक्ष सत्तारूढ़ सरकार पर हमलावर है।पेट्रोल डीजल और एलपीजी की बढ़ती कीमतों को लेकर पिछले दिनों राज्यसभा मे हंगामा किया।उसके बाद सभापति ने खारिज कर दिया।शिवसेना,कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने बढ़ती कीमतों का मुद्दा उठाया।जिसकी गूंज देश ने सुनी।विपक्ष कई दिनों से महंगाई को लेकर हंगामा खड़ा कर रहा है।सत्तारूढ़ भाजपा को घेरने के लिए महंगाई बड़ा मुद्दा है।इसके साथ ही खाद्यान की वस्तुओं में आसमान छुते दामों से जनता परेशान है।सरकार की मजबूरी हो सकती है।लेकिन विकास के नाम पर जनता को परेशान भी तो नही किया जा सकता है।बढ़ती महंगाई को लेकर राज्यसभा के सभापति उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू को चर्चा के लिए नोटिस भी दिया गया था।लेकिन सभापति ने स्वीकार ही नही किया।महंगाई की मार का एक मजबूत कारण है कि वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के बढ़ते दामों और रूस यूक्रेन की भीषण जंग के कारण तेल का आयात बहुत मुश्किल है।दुनिया मे कोई भी देश रूस से माल नही खरीद रहा है ।एक भारत ही ऐसा देश है जो अमेरिका के लादे गए प्रतिबंध के बावजूद रूस से तेल खरीदने की हिमत कर रहा है।महंगाई हर व्यक्ति को प्रभावित करती है।महंगाई के कारण हर एक व्यक्ति का सामान्य बजट बिगड़ जाता है।हमने कोरोना की मार झेली है।हमारा देश महीनों तक बन्द था।सारा देश चार दिवारी में बंद रहता हैऔरआय का कोई जरिया नही होता है।तब देश के सामने बड़ी 3चुनोतियाँ होती है।कोरोना की 9वैक्सीन मुफ्त में डेढ़ सौ करोड़ लोगों को लगाना।वैश्विक बाजार में मुफ्त में वैक्सीन सप्लाई करना एक बड़ी उपलब्धि है और यह काम मजबूत सरकार ही कर सकती है।आज के समय मे विपक्ष सरकारपर आरोप लगा रहा है। लेकिन मायूसी के उस दौर में सरकार की भारी उपलब्धि कह सकते है जिस समय भारत का स्वाभिमान बरकरार रखा।कोरोना की महामारी में दुनिया के अनेक शक्तिशाली देश भी हताश हो गए थे।श्री लंका जैसे देश भी अर्थव्यवस्था के मामले में पिछड़ गया है।उसकी भी भारत मदद कर रहा है।महंगाई से हरकोई परेशान है।थोड़ा बहुत जनता सहन कर सकती है।लेकिन सरकार को अपने विकल्प के तौर पर कुछ तो जनता को राहत दी जाए।जिसे लोगो को महंगाई की मार से बचा जा सके।महंगाई को कम करने और पेट्रोल डीजल और रसोई गैस के दामों में वृद्धि की जगह दाम कम किया जाए।जिसे जनता सुकून की सांस ले सके।

*कांतिलाल मांडोत सूरत*

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