पाकिस्तान के घटनाक्रम के पीछे डटे हुए है जनरल कमर बाजवा

Update: 2022-04-05 15:06 GMT


इमरान खान की सियासी उठापठक राजनीतिक संकट का समाधान निकलता नही दिख रहा है।विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है लेकिन कोर्ट ने फैसला नही दिया है।कई ऐसे प्रधानमंत्री भी होंगे जिन्होंने भारत के साथ टकराव नही चाहते हुए भी विरोध करना पड़ा।

पिछले कई वर्षों से ये घिरे दिख रहे है।मुशर्रफ,नवाज और इमरान खान ने भारत की सरहदों को धधकती रखने में कोई कसर नही छोड़ी है।भारत पाकिस्तान के बीच ऐसे द्वंद्वों को उभारा जाए जो पाकिस्तान में छद्म राष्ट्रवादी या भारत विरोधी वातावरण निर्मित करने में सहायक हो,ताकि वे स्वयं आंतरिक संकटों से बच सके।जनरल बाजवा ने कहा कि पाकिस्तान की सरकार गिराने के पीछे अमेरिका का कोई हाथ नही है।इमरान कई दिनों से अमेरिका को कोस रहे है।बाजवा ने नियंत्रण रेखा पर तनावपूर्ण हालात में जल्द सुधार का वादा किया था।बाजवा भी भारतीय फौज को आंखे दिखाने के लिए कई बार एलओसी पर उपस्थित रहे है।लेकिन केंद्र की मोदी सरकार के ताकतवर नेतृत्व से सेना की बोलती बंद हो गई।पाकिस्तान में भारत विरोधी लहर चलती है तो पाकिस्तान में शांति पसरती रहती है।इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत को तेवर तो दिखाए,परन्तु मोदी के सामने इमरान ने हथियार डाल दिये।अमेरिका पर आरोप लगाते समय भारत पर भी आरोप लगा सकते थे।लेकिन मोदी की बुराई की जगह विदेश नीति के बखान किए।जिस अफगानिस्तान पर लौट पॉट होने वाले इमरान की उस समय परख हो गई।जिस समय अफगानिस्तान में लोग भूख से बिलख रहे थे।पाकिस्तान ने अफगानिस्तान को फूटी कौड़ी की मदद नही की है।पाकिस्तान की सेना का भरोसा इमरान को भी नही है क्योकि जिस तरह पाकिस्तान में सेना ने कब्जा किया थ।वैसा कर भी सकते है,लेंकिन संसद की सुनवाई सुप्रीम के ताबे है।जनरल बाजवा ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका पर जूठा आरोप नही लगाया जाए।पाकिस्तान की अंदरूनी खींचतान में इमरान की कुर्सी जाने की नोबत आई है।भारत विरोधी षड्यंत्र के रहने से पाकिस्तान में अमन रहता है।इसलिए मजबूरी वश भारत का विरोध और कश्मीर का राग अलापा जाता है।

*कांतिलाल मांडोत सूरत*

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