कोविड के जाते ही पर्यटन और होटल इंडस्ट्री में रौनक लौट आई है। दो साल तक बहुत नुकसान झेलने के बाद, अब न सिर्फ होटलों के कमरे फुल जा रहे हैं, बल्कि आने वाले एक दो माह तक के लिए एडवांस बुकिंग भी रफ्तार पर है। कश्मीर घाटी में 40 हजार कमरे 90 प्रतिशत तक फुल हैं और बिना ऑनलाइन बुकिंग के जो पर्यटक घाटी पहुंच रहे हैं उन्हें एक दिन के लिए कमरा तलाशने के लिए पूरी भागदौड़ करनी पड़ रही है। घाटी में विगत दो वर्षों में होटल इंडस्ट्री के 70 हजार कर्मी बेरोजगार हो गए थे, लेकिन अब वापस ढेर सारे कर्मचारियों को काम मिल रहा है। साल के शुरुआती तीन माह पर्यटकों से गुलजार रही कश्मीर घाटी। इस अवधि में जम्मू-कश्मीर में तीन लाख से अधिक पर्यटक पहुंचे, जो कि एक रिकॉर्ड है। होटलों के दाम कश्मीर में ही नहीं, शिमला में भी दोगुने हो गए हैं। जो होटल रूम सामान्य दिनों में दो हजार रुपए का मिल जाता था, वह अब चार से पांच हजार में मिल रहा है। शिमला में नवरात्रि के कारण भी अधिक संख्या में सैलानी पहुंच रहे हैं। जैसे जैसे तापमान बढ़ रहा है, पर्यटकों से पहाड़ी क्षेत्रों के होटल आबाद होते जा रहे हैं।
इस कॉलम में पहले बताया जा चुका है कि कोरोना काल में लाखों युवा सेना में भर्ती की ख्वाहिश लिए रह गए और बहुतों की तो उम्र ही निकल गई। पूरे दो साल सेना की भर्ती बंद रही। इस कारण से हरियाणा में 10 हजार युवा भर्ती से वंचित हो गए, जबकि दो लाख से अधिक युवा ओवरएज हो गए। सभी प्रदेशों को मिलाएं तो ऐसे युवाओं की संख्या कई लाख बैठेगी। दो साल से भर्ती नहीं होने से सेना में सैनिकों के सवा लाख पद खाली पड़े हैं। इन पदों को भरने के लिए, सरकार अग्निपथ भर्ती योजना लागू करने जा रही है। इसके तहत, सेना में काम करने के इच्छुक युवाओं को तीन साल के लिए भर्ती किया जाएगा। इन्हें अग्निवीर कहा जाएगा और इनमें से कुछ काबिल अग्नवीरों को आगे चल कर पक्की नौकरी भी मिल सकती है। ये नियुक्तियां जल, थल और वायु, तीनों सेनाओं के लिए होनी हैं। ट्रेनिंग के बाद इनकी तैनाती जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में की जाएगी। इनमें आईटी और अन्य पेशेवर भी होंगे। तीन साल की सेवा के बाद इन्हें निजी संस्थानों में आसानी से रोजगार मिल सकेगा।
महामारी के चलते दुनिया के करीब डेढ़ सौ देशों में महंगाई बढ़ गयी। कच्चे माल की कमी, सप्लाई चेन में बाधा, कलपुर्जों के उत्पादन में कमी और मौसमी बदलावों से कृषि उत्पादन प्रभावित होने से खाद्य पदार्थों से लेकर दैनिक इस्तेमाल की वस्तुएं तक महंगी हो गयीं। ओमिक्रॉन के प्रकोप के कारण इस महीने ऐसे ही हालात बने रहने का अंदेशा है। इसके बाद भी महंगाई पर पूरी तरह से काबू पाने में नौ माह से एक साल का समय लग सकता है। इलेक्ट्रिक वाहनों की वैरायटी बाजार में आयेगी। इस दिशा में कई तरह के परिवर्तन देखने को मिलेंगे। बहुत सारे विकल्प सामने होंगे। कंपनियों को अपने ई-वाहनों की कीमतें भी कम करनी होंगी। धीरे धीरे पेट्रोल और डीजल चालित वाहनों से लोगों का मोहभंग होने लगेगा और सड़कों पर इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ती जायेगी। चिप यानी सेमीकंडक्टर की किल्लत होने से ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री पर इसका भारी असर पड़ा।