कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई का फायदा अन्य दल उठाता है।जिस राज्य में सत्ता में आने के बाद पार्टी में कलुषित वातावरण खड़ा कर सत्ताधारी कांग्रेस विपक्ष में जा बैठती है।देश मे कांग्रेस के हाथ से सत्ता निकलती जा रही है।संगठन की शक्ति नही है।पार्टी के अंदर अपनी ही सरकार की निंदा करने वाले नेता की पार्टी में हैसियत कितनी है और ऐसे नेता जनता के हित मे क्या कर सकते है।इसका अंदाजा पार्टी को भी है और जनता को भी नही है।कांग्रेस चाहे जितनी सफाई पेश कर दे।जब तक संगठन की नींव मजबूत नही होगी, तब तक कांग्रेस का फिर से सितारा चमकने वाला नही है।एक तरफ जनता के हितों की बात की जाती है दूसरी तरफ जनता के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है।चंडीगढ़ में धरने पर बैठे कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच महंगाई को लेकर केंद्र सरकार का विरोध किया जा रहा था।उस दौरान नवज्योतसिह सिद्दु और बिरन्दर ढिल्लो के बीच विवाद इतना बढ़ा की एक दूसरे हाथापाई पर उतर आए।सिद्दु ने बिना नाम लिए कैप्टन अमरेन्दरसिह और पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब कांग्रेस की हार का कारण बता रहे है।पंजाब में कांग्रेस की हार का ठीकरा चन्नी पर फोड़ रहे है।चन्नी राजनीति के नोशिखिया थे,लेकिन सिद्दु तो राजनीति के खिलाड़ी थे। माना कि वो उनकी गलतियों से हारे लेकिन नवज्योतसिह सिद्दु क्यो हारे?आप जीतकर उन पर निशाना साधते तो पंजाब की जनता के गले उतरता।कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने कांग्रेस की गिरती साख की परवाह नही की है।कांग्रेस ने लखनऊ में महंगाई को लेकर प्रदर्शन किया।उधर मुम्बई में महंगाई को लेकर नाना पटोले ने भाजपा को अलीबाबा और चालीस चोरों की सरकार का तमगा दिया है।केंद्र सरकार के महंगाई के विरोध में महा मोर्चा के गठन किया है।
कांग्रेस की विचाररधारा से देश की जनता खुश नही है।राजस्थान में करौली में नव संवसर पर निकाली जा रही शोभायात्रा पर मुस्लिम समाज के लोगो ने भीड़ पर छत से पत्थर बाजी की गई।बहुत से लोग घायल हुए।सरकार मुस्लिम समाज की इस कारस्तानी के लिए तैयार ही नही थी।उनका कहना था कि यह हिन्दू संगठनो ने ही किया है।सच्चाई सामने आई और पुलिस ने माना कि छतों पर एकत्रित कर रखे पत्थर से मुस्लिम समुदाय के लोगो ने पथराव किया। राजस्थान काग्रेस में पार्टी के एक विधायक ने उन्ही की पार्टी के मंत्रियों पर आरोप लगाया है कि सीएम अशोक गहलोत के साथ धोखा कर रहे है। कांग्रेसी अपनी ही जांघ को खुली करने में माहिर है।पार्टी को नीचे गिराने के विपक्ष की जरूरत नही है।कांग्रेस में ही भरे पड़े है।अशोक गहलोत और सचिन के बीच अंदरूनी लड़ाई छिड़ी थी।हाईकमान के बीच बचाव में राजस्थान की बिगड़ती रजनौतिक स्थिति को संभाल तो लिया था।लेकिन आज भी अशोक गहलोत और सचिन दोनों की राह अलग अलग है।एमपी की कमलनाथ की सरकार और गोवा में कांग्रेस के अंदरूनी मनमुटाव से कांग्रेस धरातल पर आकर खड़ी हो गई है।कांग्रेस की रजनौतिक महत्वकांशा अधूरी रह गई है।
तेज तर्रार फारूक अब्दुल्ला और एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्गविजय सिंह को जब जब मीडिया के सामने आना होता है वो मोदी और भाजपा पर आग बरसाने का ही काम करते है।बाकि कसर राहुल पूरी कर देते है।जिन मोदी की बुराई कांग्रेस कर रही है।उनके पास तो देशभक्ति और देशप्रेम की ही संपति है।उनके पास अपना घर नही और कोई बैंक बैलेंस नही है।तब कांग्रेस का मोदी पर निशाना साधना भारी पड़ रहा है।तो भी अम्बानी अडानी का नाम लिए बिना कांग्रेस का खाना नही पचता है।कांग्रेस को फिर से अपनी खोई जमीन को वापस लेने के लिए तुष्टिकरण की बात नही कर सभी देशवासियों को साथ रखने का संकल्प लेना होगा।तभी कांग्रेस को संजीवनी मिल सकती है और ये संजीवनी मतदाताओ के पास ही है।
*कांतिलाल मांडोत *