पिछले कुछ समय से पाकिस्तान में चल रहा सियासी ड्रामा अब कहावतों का गढ़ बनता जा रहा है. सबसे पहले इमरान खान सरकार के खिलाफ विपक्षियों द्वारा ''अविश्वास प्रस्ताव'' लाया गया. जिसे संसद के उपाध्यक्ष ने संसद को ही भंग करके उसे ख़ारिज कर दिया. अब विपक्षियों की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने संसद को पुनः बहाल कर करके अविश्वास प्रस्ताव पर पुनः बहस करने का फैसला दे दिया. बेचारे इमरान
''बिसाले सनम न इधर के रहे न उधर के', उनके द्वारा ''रातभर अंडे पकाये फिर भी कच्चे रह गए' उनकी पत्नी ने कुर्सी बचाने के लिए हजारों मुर्गों की बलि दे दी बावजूद इसके ''मुर्गे भी जान से गए और कुर्सी भी हाथ से चली गई'', सियासी मैच जीतने के लिए इमरान ने खूब चौके-छक्के (अमेरिका का हाथ होना आदि) लगाए और अंत में ''थर्ड इम्पायर-सुप्रीम कोर्ट'' ने ऐसा फैसला दे दिया कि न्याजी सियासी मैच तो हारे ही साथ ही उनकी दिनरात की सारी मेहनत पर भी पानी फिर गया. यूं तो इमरान की सरकार गिरना तय है फिर भी अभी पाक के सियासी ड्रामें का क्लाईमेक्स बाक़ी है. देखे जाओ आगे-आगे होता है क्या ?........ शकुंतला महेश नेनावा