अफगानिस्तान में तालिबानियों का कब्जा होने के बाद अ!फगान सैनिको की कमी सताने लगी।इसके लिए तालिबान सरकार ने आतंकवादियों को सेना में भर्ती करने का एलान किया है।तालिबान सरकार ने एक लाख सैनिक भर्ती करने की स्वीकृति दी है।उसके यहां आतंकवादी ट्रेनिग लिए हुए है।सैनिको की भर्ती प्रक्रिया के लिए सरकार को तालिबान नियमो के आधार पर भर्ती करनी पड़ेगी।
तालिबानियो ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया है उसके बाद स्थिति बिगड़ती जा रही है।लोगो के पास दो जून का भोजन नही है।बैंक और फायनान्स कम्पनियों की बिगड़ती स्थिति से आम आदमी परेशान है।तब एक लाख सैनिको की भर्ती करना कितना मुश्किल काम है।हर महीने वेतन की जदोजहद से तालिबान सरकार को गुजरना पड़ेगा।देश मे पहले से खाद्यान की कमी से झुझ रहे तालिबान को लाखों टन अनाज भारत ने मुहैया करवाया है।भारत अफगानिस्तान के लिए हमदर्द बना हुआ है।एक लाख सैनिको की भर्ती कहा से की जाए।सैनिको को तालीम देनी होती है।सेना को देश के लिए मर मिटने की तैयारी रखनी पड़ती है।सेना के जवानों में महत्वपूर्ण यह होता है कि उनमें देशप्रेम भरपूर होना चाहिए।वो ही सेना में भर्ती हो सकता है।अफगानिस्तान में ऐसी कोई योग्यता नही है जोकि फहले के सैनिको को इन लोगो ने भगा दिया है।सीनियर अधिकारियों को तालिबानियों ने पकड़ पकड़ मार दिए।सरेराह गोली मार दी गई।पुराने सैनिक देश छोड़ कर भाग गए।
तालिबानियों ने आतंकवादियों को भर्ती करना शुरू किया है।सेना में स्यूसाइड बोम्बरो की भी भर्ती की जायगी।ये आतंकवादी मानसिकता प्रकट कर रहे है।दूसरी तरफ महिलाओं को भी सेना में लेने का विचार किया जा रहा है।अफगानिस्तान को मान्यता देने के लिए कोई भी देश तैयार नही हुआ है।पाकिस्तान के लिए अफगानिस्तान कट्टर दुश्मन है।अफगानिस्तान में महियाओ को सेना में भर्ती करने का एक बहाना है।क्योंकि महिलाओं और युवतियों पर अफगानिस्तान में पाबंदी है।दुनिया की नजर में अच्छा कहलाने महिलाओं को मोहरा बनाने वाले तालिबानियों की कथनी और करनी समानांतर नही है।अफगानिस्तान में अभी बहुत विचित्र हालत है।देश की सुरक्षा व्यवस्था का काम तालिबान ही करते है।खुली जीप में बंदूक और मशीनगनों के साथ गलियों में घूमते रहते है ।
सैनिक की जगह आतंकवादी ही लगते है।तालिबानी आतंकवादी सेना भर्ती में जुड़ते है ओर सेना के नीति रीति कहा से लाएंगे।क्योकि सैनिक जामा में रहने वाले सैनिक और तालिबानियों में जमीन आसमान का फर्क है।तालिबानियों ने अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने के लिए जान की बाजी लगाकर जंग जीती है।आतंकवादियों को लड़ना आता है।फायरिंग करना और बम डालना उनका खास मकसद है।तालिबानियों को सुरक्षा करना आता ही नही है।इसके लिए अनुशासन की आवश्यकता होती है।तालिबानियों को हमला करने की ही ट्रेंनिग दी गई है।अफगानिस्तान में सबसे ज्यादा भय इस्लामिक स्टेट और अल कायदा के आतंकवादियों से है।अफगानिस्तान की जो सेना थी उसको अमेरिका ने ट्रेनिग दी है।अफगानिस्तान के सैनिक भारत मे भी ट्रेनिग ले चुके है।
अफगान भारत की गहन मैत्री पर तालिबान सत्ता में आने से एक बड़ी दीवार खड़ी कर दी है।नतीजतन,अफगानिस्तान की बॉर्डर खुली पड़ी है।वहा पर सैनिक की तैनाती नही है।अफगानिस्तान के नागरिक दूसरे देश मे शरण ले रहे है।
*कांतिलाल मांडोत सूरत*