कोई सैनिक देश के लिए जान देता है तो उसे शहीद कहते है लेकिन अगर कोई धर्म के लिए कुर्बान होता है तो उसे आतंकवादी कहते है?कोई भारत की सरकार के खिलाफ हो जाता है तो सरकार उसे दंडित करती है।कश्मीर में 2019 में संविधान का अनुच्छेद 370 हटने के बाद सैनिक कार्यवाई में 441 आतंकवादी मारे गए है।जबकि 109 सैनिक शहीद हुए है।सैनिको को शहीद का दर्जा दिया है जबकि हमलावरों को आतंकवादी करार दिया।370 हटने के बाद कश्मीर में शांति बहाल हुई है।लोग आय के स्त्रोत के जुगाड़ में लग गए।रोजमर्रा की जिंदगी शुरू हुई है।
विश्व के आतंकी संगठन अपने कुतर्को से पूरी दुनिया के लिए खतरा बन गए है।किस तरह ये संगठन गरीब,अशिक्षित मुसलमान युवाओ को कुतर्क के सहारे गुमराह कर रहे है।और उनमें उनमाद पैदा कर रहे है।आज जरूरत यह है कि इस्लाम के वास्तविक अलमबरदार इस धर्म के उन्माद से दुनिया को बचाने के लिए आगे आए और इसे पुनर्परिभाषित करे या दुनिया संगठित हो कर इसका प्रतिकार करे।फिदायीन को यही बताया जाता है कि उसका जन्म ही अल्लाह के लिए हुआ है।आतंकवाद की जड़े बहुत गहरी हो चुकी है।हम चाहते हुए भी इसको नही हिला सकते है।
जिनकी शिक्षा आतंकवाद के माध्यम से हो रही है।उसके लिए क्या कर सकते है।आतंकवाद की कड़वी सच्चाई दुनिया के लिए एक चुनौती है।दुनिया अणु परमाणु के ढेर पर बैठी हुई है।दुनिया के देशो में विकास और नई उपलब्धियों की इबारत लिखी जा रही है।इस होड़ में आतंकवाद की चिंगारी बड़ा प्रलय ला सकती है।हर देश अपनी अपनी सुरक्षा में लगा हुआ है।आतंकवाद की काली छाया दुनिया पर मंडरा रही है।मुझे लगता है कि जलवायु परिवर्तन के पहले दुनिया के इस आतंकवाद के लिए लड़ना चाहिए।जिस तरह से एक दूसरे देश अणु और परमाणु की धमकी दे रहे है।एक दूसरे देश युद्ध की डरावनी कहानी बयां कर रहे है।उससे तीसरे विश्व युद्ध की आहट दिखाई दे रही है।आतंकवाद से लड़ने के लिए समृद्धिशाली और ताकतवर देशो को आगे आना चाहिए।भारत के लिए ही आतंकवाद का खतरा नही है।यह दुनिया के लिए खतरा बना हुआ है।
*कांतिलाल मांडोत सूरत*