बिगड़ते लाइफस्टाइल से बढ़ रहा हार्ट फेलियर का खतरा

Update: 2019-09-19 04:51 GMT


अंकिता सिंह
देश में हार्ट के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। खासकर, हार्ट फेलियर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। बिगड़ते लाइफस्टाइल, प्रदूषण और अपनी सेहत पर ध्यान न देना इसका बड़ा कारण है। हार्ट फेलियर का शिकार ज्यादातर लोग अपने भविष्य को लेकर निराश हो जाते हैं। आपको बता दें कि अगर हार्ट फेलियर का पता समय पर चल जाए तो आगे चलकर वह भी लंबा जीवन जी सकते हैं।
डॉक्टरों की मानें तो भारत में हार्ट फेलियर के मरीजों के सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है बीमारी की पहचान में होने वाली देरी। ज्यादातर मरीज इलाज के लिए उस वक्त आते हैं जब उनकी बीमारी अडवांस्ड स्टेज में पहुंच जाती है।
कार्डियॉलजिस्ट्स की मानें तो वैसे लोग जिनमें पहले से हार्ट डिजीज का खतरा है या फिर हार्ट अटैक की हिस्ट्री रह चुकी है, या हाई ब्लड प्रेशर और डायबीटीज की समस्या है उन्हें नियमित रूप से स्क्रीनिंग करवानी चाहिए ताकि हार्ट फेलियर का पता शुरुआती स्टेज में ही लग जाए और मौत की आशंका को रोका जा सके।
वैसे लोग जिनमें हार्ट फेलियर की समस्या बाद के स्टेज में पता चल पाती है उनमें से 50 प्रतिशत लोगों की एक साल के अंदर मौत हो जाती है। ज्यादातर मरीज दवा का नियमित सेवन और लाइफस्टाइल में किए जाने वाले जरूरी बदलाव पर अमल नहीं करते जिस वजह से बीमारी बढ़ जाती है। इस वजह से मौत की आशंका अधिक होती है।बावजूद इसके बीमारी को लेकर लोगों के बीच जागरुकता की कमी है। करीब 60 प्रतिशर हार्ट फेलियर के मरीज ऐसे हैं जिनकी बीमारी या तो डायग्नोज ही नहीं होती या फिर गलत डायग्नोज होती है। यह माना जाता हैं कि अगर समय पर मरीज को इलाज मिल जाए तो हार्ट फेलियर के मरीज भी अस्पताल से बाहर आ सकते हैं और लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
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