एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स अगले 2 साल तक भारत की राजकोषीय मजबूती पर नजदीकी से नजर रखेगी और अगर सरकार राजकोषीय घाटे को कम करने की राह पर बनी रहती है तो भारत की रेटिंग बढ़ाई जा सकती है।
एसऐंडपी ग्लोबल में डायरेक्टर- सॉवरिन ऐंड इंटरनैशनल पब्लिक फाइनैंस रेटिंग यीफर्न फुआ ने एक वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में कहा, 'अगले 2 साल तक हम इस बात पर बारीकी से नजर रखेंगे कि क्या सरकार राजकोषीय मजबूती की राह पर आगे भी बनी रहती है या नहीं।
लोक सभा चुनाव की 4 जून को होने जा रही मतगणना के पहले एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने बुधवार को भारत के आर्थिक नजरिये को उन्नत कर 'स्थिर से 'धनात्मक कर दिया। लेकिन उसने भारत की 'सॉवरिन रेटिंग को 'बीबीबी माइनस पर बरकरार रखा है जो कि निवेश-योग्य सबसे निचली रेटिंग है।
सरकार ने वित्त वर्ष 2026 तक राजकोषीय घाटा कम करके जीडीपी के 4.5 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है। वित्त वर्ष 2025 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 5.1 फीसदी तय किया गया है।
रिजर्व बैंक के बड़े लाभांश के बारे में फुआ ने कहा कि यह सरकार के लिए राजकोषीय नीति तय करने के लिहाज से बेहतर है, लेकिन कुल मिलाकर दीर्घावधि के हिसाब से एसऐंडपी को नहीं लगता कि इस तरह का लाभांश बार-बार दिया जाएगा।
आम चुनाव परिणामों के पहले भारत की रेटिंग बढ़ाने के बारे में पूछे जाने पर फुआ ने कहा कि भारत ने प्रमुख आर्थिक नीतियों को लेकर राष्ट्रीय सहमति बनाई है और चुनाव के बाद विकास के अनुकूल नीति जारी रहेगी।
उन्होंने कहा कि 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद कई दलों की मिली जुली सरकारों ने सत्ता चलाई है, लेकिन भारत की जीडीपी वृद्धि दर लगातार उच्च स्तर पर बनी हुई है।
उन्होंने कहा, 'यह प्रमुख आर्थिक नीतियों पर राष्ट्रीय आम सहमति को दर्शाता है। हम मानते हैं कि चुनाव के बाद यह वृद्धि-समर्थक नीति जारी रहेगी और आने वाले वर्षों में राजकोषीय मजबूती की राजनीतिक प्रतिबद्धता भी बनी रहेगी। आने वाली सरकार चाहे कोई भी हो, विकास समर्थक नीतियां, निरंतर बुनियादी ढांचे में निवेश और राजकोषीय घाटे को कम करने की मुहिम आने वाले वर्षों में जारी रहेगी।