फिल्म संवाददाता: बचपन एक्स्प्रेस
भारत मे वेब सीरीज के नाम पर परोसा जा रहा कंटेन्ट बेस्वाद खाने कि तरह होता जा रहा था और एक ही तरह की विषयवस्तु को नए रूप मे दर्शकों को दिखाया जा रहा था | एक समय लगने लगा कि वेब सीरीज मतलब सिर्फ नग्नता और गाली दिखाकर दर्शकों को आकर्षित करना है | पर समय के साथ इसमे कुछ बदलाव भी देखने को मिल रहा है | अब नग्नता कि जगह स्टोरी ने लिया है और अच्छे कलाकारों ने अपने अनुभव से इस माध्यम को एक नई पहचान देने का काम किया है |
इसी क्रम मे हाल मे आई एक वेब सीरीज ‘फर्जी ‘ है जो बॉलीवुड के बड़े कलाकार शाहिद कपूर को मुख्य भूमिका मे ले कर आती है | इस सीरीज का हीरो हॉलिवुड के फिल्म नोआर का हिस्सा दिखता है जिसमे किस्मत और छोटी सी चूक हीरो को बड़ा गुनाह करने के लिए मजबूर कर देता है |
अपनी किस्मत से लड़ता हीरो जब तक समझ पाता तब तक वो जुर्म कि दुनिया मे इतना आगे निकल चुका होता है कि उसके पास वापस आने का कोई रास्ता ही नहीं बचता है |
हीरो के रूप मे अगर हम शाहिद कपूर या आर्टिस्ट को देखे तो पता चलता है कि उसकी यादों मे माँ है और वो अपने पिता के साथ एक शहर से दूसरे शहर तक भागते हुए कही भी कोई शिकायत नहीं करता है | पहली बार जब उसे उसका पिता ट्रेन मे अकेला छोड़ कर चला जाता है तो उसके आने तक वो प्लेटफॉर्म पर ही चित्र बनाकर किसी तरह अपना जीवन जीता है | उसे जब एक दूसरा बच्चा फिरोज मिलता है और जब वो कहता है कि ‘सब बाप हरामी होते है’ तो उसके मन मे भी पिता के प्रति नकारात्मक सोच पहली बार आती है जो पूरे सीरीज मे दिखाई देता है |
अपने नाना द्वारा खोज लिए जाने और अपने साथ फिरोज को भी ले जाना सनी (शाहिद कपूर ) के व्यक्तित्व के उजले पक्ष कि तरफ इशारा है | सच और झूठ के बीच पड़े इस बच्चे के मन पर जहां एक ओर उसके नाना और माँ की छाप है वही अपने पिता के उसको छोड़ जाने का दुख उसे नकारात्मकता कि ओर खीच कर ले जाता है |
फिरोज और सनी दोनों नाना के प्रेस जहां से क्रांति पत्रिका निकलती है वहाँ पर बड़े होते है और सच और झूठ के बीच झूलते रहते है | उनकी जिंदगी सामान्य चलती रहती है पर जब नाना के प्रेस के बिकने की बारी आती है तो वो उस प्रेस को बचाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते है | ये सीरीज फिल्म नोआर के उस हीरो कि कहानी से मिलती जुलती है जो समाज के नियमों के साथ छेड़ छाड़ करते समय कही से भी अपराध बोध ग्रस्त नहीं होता |
प्रिंटिंग प्रेस बचाने के लिए नकली नोट और फिर नकली नोट कि उस दुनिया मे पहुच जाते है जहां से वापस आना बिल्कुल ही संभव नहीं है | इस सीरीज मे नेता को भ्रष्ट तो दिखाया है पर उसे समाज मे अपना नाम करने के लिए कुछ काम भी करते दिखाता है| नेता कि कमजोरी का फायदा कैसे अधिकारी उठाता है और अपनी बात मनवाता है ये कुछ नया नहीं है पर परदे पर इस तरफ से शायद पहली बार है | राष्ट्रीय सुरक्षा और जाली नोट को मुख्य मुद्दा बना कर उसके इर्द गिर्द कई और समानांतर घटनाओं के माध्यम से कही जाने वाली कहानी काफी रुचिकर है | भाषा के स्तर पर इसे और अच्छा किया जा सकता था क्योंकि आप इसे परिवार के साथ बैठ कर नहीं देख सकते है |
अन्य वेब सीरीज कि अपेक्षा इसमे नग्नता कम है और सनी और मेघा के बीच एक इंटीमेट सीन को अगर छोड़ दे तो ये सीरीज काफी साफ सुथरी है, हा भाषा को छोड़ कर | नायक का बुरा होना और समाज के नियमों को न मानना निओ- नोआर का प्रभाव कह सकते है | सीरीज को ऐसी जगह लाकर खत्म किया है कि दर्शक इसके दूसरी संस्करण की जरूर प्रतीक्षा करेंगे |