शिक्षा समाज का आधार है और ज्ञान, व्यक्तित्व एवं आवश्यक कौशल विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 'नेशनल एजुकेशन डे' (राष्ट्रीय शिक्षा दिवस) के अवसर पर एण्डटीवी के पौराणिक शो 'बाल शिव' में महासती अनुसुइया का किरदार निभा रहीं मौली गांगुली ने शिक्षा में आये उल्लेखनीय बदलाव के बारे में बात की। उन्होंने यह भी बताया कि गुरुकुल की व्यवस्था शिक्षा का प्रतीक है।
मौली गांगुली ने कहा, ''शिक्षा प्रणाली प्राचीन काल की पढ़ाई के तरीकों से लेकर आज के डिजिटल क्लासरूम में तब्दील हो गयी है। गुरुकुल में, विद्यार्थी सारे कौशल सीखने के लिये गुरु के आश्रम में रहते थे और अलग-अलग विषयों पर विस्तृत ज्ञान अर्जित करते थे। उनमें वेद, प्रकृति, चिकित्सा से लेकर युद्ध के तरीके, इतिहास, दर्शन और जिंदगी की वास्तविक समस्याओं से लड़ने के लिये कई कौशल शामिल होते थे। इसके साथ ही गुरु-शिष्य का रिश्ता बहुत ही मजबूत होता था, जिससे शिष्य को अनुशासित होने में मदद मिलती थी। शिक्षा के इस तरीके में आत्म-ज्ञान सबसे जरूरी होता था और इसे सिखाने का सबसे अनूठा तरीका माना जाता था। 'बाल शिव' में मैं महासती अनुसुइया का किरदार निभा रही हूं, जो इस गुरुकुल की गुरुमाता है। शिक्षा की इस प्रणाली में शिक्षण के एक अलग तरीके को अपनाया गया था, क्योंकि इसमें शिष्य के संपूर्ण विकास पर ध्यान दिया जाता था। गुरु ना केवल अपने शिष्यों को शिक्षा देते थे, बल्कि उन्हें अच्छा इंसान बनने में भी उनका मार्गदर्शन करते थे। उन्हें दुनियादारी और जरूरी कौशल से सुसज्जित करते थे।''
शिक्षा के महत्व के बारे में, मौली कहती हैं कि मानवजाति के लिये जीवन की सभी परेशानियों से लड़ने और उनके भविष्य को संवारने के लिये शिक्षा सबसे सशक्त हथियार है। यह सबसे बेहतरीन तोहफा है जो हम अपने बच्चों को दे सकते हैं। 'नेशनल एजुकेशन डे' भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अब्दुल कलाम की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। वे एक जाने-माने शिक्षाविद् थे, जिन्होंने भारत में शिक्षा प्रणाली को आकार देने में अहम भूमिका निभायी थी। आप सभी को 'राष्ट्रीय शिक्षा दिवस' की ढेरों शुभकामनाएं।'' मालूम हो कि 'बाल शिव' का प्रसारण 23 नवंबर से एण्डटीवी पर शुरु होने वाला है।