जाति के ज्ञान का पिटारा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी खोल दिया | अब जनता नहीं जात पिटी जाती है | ये आधुनिक राजाओं की नयी बोली है | सत्ता सबकुछ है भाई आवे तो सही |
राज्य सत्ता को गवाने के बाद अब अखिलेश जैसा नेता भी अंततः जाति और धर्म की राजनीति की ओर जाने लगा है | काम बोलता है कह कर उम्मीद जगाये अच्छे लोग भी अगर अपने काम के बावजूद हार गए तो भी उन्हें अपने काम बोलता है पर टिके रहना चाहिय |
राजनीति में सत्ता सुख ही सब कुछ नहीं होता देश हित में भी सोचना पड़ता है | सरकार आती -जाती रहेगी ये देश रहना चाहिए और इस देश में कुछ अच्छे नेता भी होने चाहिए | अगर अखिलेश जैसे लोग भी तनिक संघर्ष से घबरा गए तो देश और प्रदेश का विकास बंद हो जाएगा |
माना की राजनीति में दावपेंच चलते रहते है पर उससे अगर दिलो को तोड़ने का काम किया जा रहा है और सामाजिक विद्वेष की भावना फैलाई जा रही है तो उसे रोकना होगा |
ये दलित और अगड़े का मसला नहीं कानून का मसला होना चाहिए और जिन लोगो ने कानून का उलंघन किया है वो जो भी हो उने जेल में डाल दिया जाना चाहिए और इसमें किसी तरह की कोई राजनीति आने वाले समय को और विषाक्त कर देगी |