लगन है तो आप सफल है , मीना पाण्डेय ने साबित किया की सफलता उम्र की मोहताज़ नही , गूगल ने दिया ५००० डॉलर का पत्रकारिता ग्रांट
जब कभी हम अपने परिस्थितियों से हार मान कर उसे अपना भाग्य मान लेते है तो वही हमारी दौड़ ख़त्म हो जाती है | पर अगर दिल में कुछ कर गुजरने की इच्छा हो तो रास्ते खुद ब खुद बनते चले जाते है | भारत में स्त्री को अनेको भूमिका निभानी पड़ती है और वो उसी में कभी बेटी तो कभी पत्नी और माँ के रूप में अपने को भूल जाती है, और जब अपनी याद आती है तो वक्त गुजर चुका होता है \
पर शायद हर किसी को ये मंजूर नहीं | और वक्त से लड़कर अपनी तकदीर खुद लिखने वाले को मुक्कदर का सिकंदर कहते है \ कम उम्र में शादी और जिम्मेदारी के बाद भी अपनी पढाई की लगन से जहा मीना पाण्डेय ने पत्रकारिता एवं जनसंचार में फर्स्ट डिविसन में पास किया वही बड़ी मुश्किल लगने वाली फील्ड वीडियो एडिटिंग में फिल्म आर्काइव ऑफ़ इंडिया का कोर्स सफलता पूर्वक कर अपनी इच्छा जाहिर की और वक्त पर लकीरे खीचना शुरू कर दिया \
वक्त पर खिची जा रही लकीरे बड़ी होने लगी और बचपन एक्सप्रेस मासिक अखबार का प्रकाशन शुरू किया और न्यूज़ पोर्टल को सँभालने लगी \ घर की जिम्मेदारी के बाद भी पोर्टल पर खबरे डालना और उसको लगातार चलाते रहने की जिद से बचपन एक्सप्रेस चलता रहा \
कई बार ऐसा समय आया की लगा अब बचपन एक्सप्रेस चलाना मुश्किल है साथ के लोग आगे बढ़ते चले गए कुछ लोगो की मंजिल बदलती गयी पर मीना पाण्डेय की जिद ने बचपन एक्सप्रेस को जीवित रखा \
पैसे कम थे पर हौसला कम नहीं था और कोविड काल की मुश्किल ने इसे और बड़ा कर दिया \ इस मौके पर गूगल पत्रकारिता ग्रांट के लिए फॉर्म भरा \
वो दिन काफी महत्वपूर्ण था जब गूगल ने ग्रांट के लिए हामी भर दी \ आज ग्रांट आ जाने पर इस बात का प्रमाण मिल गया की हौसले की उडान को रोक पाना मुश्किल काम है |
बचपन एक्सप्रेस ऐसे ही हौसले से उड़ता रहेगा और अपने साथ उन सभी को लेकर चलता रहेगा जिन्होंने इसमें कभी भी योगदान दिया है \