जर्मनी में फ्रैंकफर्ट स्कूल ऑफ फाइनेंस एंड मैनेजमेंट के प्रोफेसर होर्स्ट लोएचेल ने हाल ही में अखबार फ्ऱैंकफ़र्टर ऑलगेमाइन जि़तुंग में एक टिप्पणी प्रकाशित की, जिसमें कहा गया कि चीन में तथाकथित अतिक्षमता एक गलत प्रस्ताव है, व्यापार संरक्षणवाद का पालन करना यूरोपीय उद्योगों के विकास के लिए फायदेमंद नहीं है। यूरोपीय संघ को अपने उद्यमों और बाजारों की प्रतिस्पर्धात्मकता और नवाचार को मजबूत करना चाहिए।
टिप्पणी में कहा गया कि साल 2023 में, जर्मन निर्यात जर्मनी के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 40 प्रतिशत था, जिसे आयात करने वाले देशों के लिए एक गंभीर अतिक्षमता भी माना जाएगा। लेकिन, वास्तव में, मजबूत निर्यात जर्मनी की अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मकता का प्रतिबिंब है और इसके आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है, जर्मनी के पास इस पर गर्व करने का कारण है।
प्रोफेसर लोएचेल का मानना है कि चीन की तुलना में, जर्मनी के निर्यात का उसके कुल आर्थिक उत्पादन में बड़ा हिस्सा है, जिसका अर्थ है कि जर्मनी का आर्थिक विकास निर्यात पर अधिक निर्भर है। इसे देखते हुए, हमें अतिक्षमता के लिए दूसरों की आलोचना करते समय बेहद सतर्क रहना चाहिए।
लेख में यह भी कहा गया कि बाज़ार अर्थव्यवस्था की दृष्टि से देखा जाए, तो चीन की अतिक्षमता की आलोचना अनुचित है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का आधार कीमत और गुणवत्ता में तुलनात्मक लाभ है, किसी भी कंपनी या उपभोक्ता को विदेशी उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर नहीं किया जाता है। किसी विशेष उत्पाद की खरीद आर्थिक स्तर पर तर्कसंगत सोच से अधिक होती है।
अपने लेख में प्रोफेसर लोएचेल ने कहा कि यह एक निर्विवाद तथ्य है कि यूरोप की प्रतिस्पर्धात्मकता इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे क्षेत्रों में चीन से पीछे है। लेकिन, चीन की अतिक्षमता के बारे में शिकायत करना बाजार अर्थव्यवस्था के तहत कोई समाधान योजना नहीं है।
उन्होंने कहा कि जर्मन वाहन कंपनियों को एहसास हुआ है कि जर्मन कंपनियों का चीनी बाजार के साथ घनिष्ठ संबंध है। चाहे वह अंतर्राष्ट्रीय हो या घरेलू, परस्पर निर्भरता अर्थशास्त्र और व्यापार का एक मूलभूत तत्व है।