कर्नाटका चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के हार के कारण

Update: 2023-05-13 07:49 GMT

भारतीय जनता पार्टी के लिए आज खुशखबरी भी है और दुःख भी की वो कर्नाटक में चुनाव लगभग हार चुके है | इस चुनाव से पार्टी को सीख लेने की जरुरत है और किन बातो पर ध्यान देना है उसकी लिस्ट बनानी चाहिए | अगर हार के कारणों को प्राथमिक समीक्षा करे तो पहले मुद्दे के रूप में लोकसभा से राहुल गाँधी के हटाए जाने और उनके घर खाली कराने का मुद्दा है |

देश की जनता किसी भी   नेता को जिसके परिवार ने राष्ट्रीय राजनीति में अहम भूमिका निभायी है उसका अपमान नहीं चाहते है , उनकी  आम बीजेपी नेताओं द्वारा बेज्जती एक मुद्दा बना और जनता ने इस पर भी मतदान किया है | ये एक वजह हो सकती है | कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे को लपक कर राजनीतिक बढ़त हासिल कर ली और बीजेपी के नेता गर्व में घूमते रहे और सिर्फ बयानबाजी करते रहे | 

दूसरा मुद्दा मुस्लिम आरक्षण का था जिसके ख़त्म करने के कारण मुस्लिम मत जेडीएस से हटकर कांग्रेस को चले गए पर हिन्दू मतदाता एकजुट नहीं हुए | एक तरह से ये चुनावी मुद्दे का मिस कॅल्क्युलेशन था | इस चुनाव में जेडीएस का सिमट जाना और उसका वोट कांग्रेस में चला जाना और जनता को महंगाई में राहत न दे पाना काफी बड़ी वजह हो गयी | 

देश की राजधानी में लगातार कुश्ती के चैंपियन अपने मुद्दे पर डटे  है और उनको लेकर बीजेपी के छुटभैयों का बयान पार्टी को नुकसान पंहुचा रहा है इसका आंकलन शीर्ष नेतृत्व नहीं कर पाया और इन दृश्यों का असर कर्नाटक की पढ़ी -लिखी जनता के एक वर्ग पर पड़ा और वो सामान्यतः बीजेपी का वोटर होते हुए भी चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में वोट डाल कर सबक सिखाने के मूड में आ गया जिसका भी असर दिखाई दे रहा है | 

स्थानीय स्तर पर वोक्कालिंगा जो हमेशा से जेडीएस का समर्थक था उसका वोट कांग्रेस की तरफ जाना बीजेपी के लिए भी घातक हो गया और जेडीएस के अस्तित्व पर आगे चलकर प्रश्नचिन्ह लगेगा | 

उत्तर प्रदेश में अतीक अहमद और असरफ की पुलिस कस्टडी में हत्या ने मुस्लिम वोटर को इस बात पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया कि वो बीजेपी को हराने के लिए किसको वोट करे | ये हत्याकांड सरकार को मुस्लिम मतों से दूर कर गया | अब यूपी में सपा का मुस्लिम वोट बैंक भी घटेगा क्योंकि मुस्लिम अब ओवैसी या फिर कांग्रेस जैसी पार्टी की तरफ अपना कदम बढ़ा सकते है | 

हमेशा से चुनाव को अच्छे से मैनेज करने वाली पार्टी इस बार कांग्रेस के मुद्दा मैनेजमेंट में पीछे हो गयी जिसका घाटा इस  चुनाव में दिखाई दिया | पुराने कर्नाटक जहाँ पर मुस्लिम बाहुल्य था वहा तो कांग्रेस ने अच्छा किया पर वो शहरी पार्टी कही जाने वाली बीजेपी से शहरो में भी सीट ले गयी | 

कर्नाटका में ६ रीजन है और ६ बड़े शहर है जिसमे बीजेपी कोस्टल रीजन में बढ़त हासिल की और बंगलुरु में भी अच्छा किया | पर सेंट्रल कर्नाटका , हैदराबाद रीजन , मैसूर , बेलगाम , में पिछड़ गयी | 

बजरंगबली का मुद्दा भी ध्रुवीकरण नहीं कर पाया बल्कि जाति ज्यादा चली और जिन जातियों के लीडर मजबूत थे वो चुनाव जीत गए | 



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