रिपोर्ट : अभिषेक कुमार मिश्र
बचपन एक्सप्रेस, लखनऊ
18 साल बाद पहली बार विजेता बनी रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की जीते के जश्न को भगदड़ की घटना ने मातम में बदल दिया । 3 जून को आरसीबी ने पंजाब को फाइनल में हराकर अपने फैंस का दिल जीत लिया । लेकिन अगले दिन जब टीम उस जीत को सेलिब्रेट करने ग्रह राज्य कर्नाटक पहुंची तो बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर लाखों की संख्या में लोग जमा हो गए। इस दौरान भीड़ में भगदड़ मचने से 11 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए । लाल जर्सी की जीत का जश्न सड़क पर बहते लाल लहू में तब्दील हो गया।
बेंगलुरु के जीतने पर कर्नाटक सरकार ने 4 जून को कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जिसके चलते शाम लगभग साढ़े पांच बजे राज्य सरकार ने विधानसभा में जिस जगह टीम का सम्मान किया, वहां से चिन्नास्वामी स्टेडियम की दूरी महज ढाई किलोमीटर है। इस दूरी में लाखों फैंस इकट्ठा थे जिसकी व्यवस्था को सम्हालने में सरकार पूरी तरह से असफल रही। इस घटना के दौरान भाजपा नेता आर. अशोक कर्नाटक के राज्य सरकार पर बड़ा सवाल खड़ा करते हुए कहते हैं कि जब भगदड़ से लोग सड़क पर मर रहे थे तब डिप्टी सीएम एयरपोर्ट पर फोटो खिंचवा रहे थे । साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि यह हादसा मात्र एक सामान्य घटना नहीं बल्कि राज्य प्रायोजित हत्या है। क्योंकि सीएम और डिप्टी सीएम के बीच क्रेडिट लेने की होड़ थी और किसी का ध्यान एकत्रित हुई भीड़ की व्यवस्था करने पर नहीं था। साथ ही भाजपा नेता ने एक और आरोप लगाते हुए कहा कि स्टेडियम जैसे भीड़भाड़ वाले इलाके में एक भी एम्बुलेंस तैनात नहीं थी। अशोक ने इसको राज्य सरकार की घोर लापरवाही करार देते हुए इस्तीफे की मांग की ।
एक ही बेटा था, चला गया, अब पोस्टमार्टम करके उसका शरीर मत फाड़ो
4 जून को बेंगलुरु में हुई भगदड़ की घटना में अब तक कुल 11 लोगों की मौत का आंकड़ा सामने आ चुका है। जिसके दौरान एक पिता की दर्दनाक तस्वीर भी सामने आई । एक पिता अपने 13 वर्षीय बेटे के साथ बेंगलुरु की जीत का जश्न मनाने आया था । लेकिन जीत की खुशी का दिया जलाता उससे पहले उसके घर का दीपक ही बुझ गया । भगदड़ में उसके 13 वर्षीय मासूम बेटे की मौत हो गई । इस दौरान अपने बेटे की लाश पर रो रोकर वह पुलिस से सिर्फ एक ही गुहार लगाता रहा । चीख चीखकर पुलिस के हाथ पैर जोड़ते हुए कहता रहा कि मेरा एक ही बेटा था, चला गया । अब पोस्टमार्टम करके उसके शरीर को मत चीरो फाड़ो । उसे छोड़ दो । मुझे मेरा बेटा ले जाने दो । एक पिता की इस दर्दनाक हालत ने मौजूद जिम्मेदार लोगों को भी झकझोर कर रख दिया ।
झूलते रहे मासूम के पैर, उठाने में जरा भी नहीं कांपे बहादुर पुलिस के हाथ
इस घटना के दौरान एक और दर्दनाक तस्वीर सामने आई, जिसे देखकर लोगों की आँखें नम हो गई। कर्नाटक पुलिस एक किशोर को उठाकर ले जाते हुए नजर आई । जिसमें उसके हाथ- पैर झूलते हुए दिखाई दे रहे हैं। और उसका मुंह खुला हुआ है। उस किशोर का मासूम चेहरा देखकर पत्थर दिल लोगों की आंखों में भी आंसू आ गए । लेकिन कर्नाटक के बहादुर सिपाहियों के हाथ बिना कांपे उसकी रक्षा करते नजर आए ।
तड़पते लोगों की सांस लौटाने में जुटे आम नागरिक
इस घटना से जुड़ा हुआ एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसे मानवता का उदाहरण भी कहा जा सकता है । घटना के दौरान सीपीआर टीम के साथ कुछ आम नागरिक भी उनकी मदद करते नजर आए । वायरल वीडियो में महिला एक बेहोश व्यक्ति को होश में लाने की कोशिश करती है। वह उसके सीने को पुश करके उसे सांसे देने की कोशिश कर रही है। फिर भी होश में नहीं आने पर उस महिला ने बेहोश पड़े उस व्यक्ति को मुंह से सांस देने की कोशिश की । और परिणामस्वरूप वह उस व्यक्ति को होश में लाने में सफल रही। ऐसी घटना के दौरान वायरल यह वीडियो समाज को एक मानवता भरा संदेश दे रहा है।