आईआईटी धारवाड़ में सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा में वैश्विक उत्कृष्टता केंद्र का शुभारंभ

आईआईटी धारवाड़ में सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा में वैश्विक उत्कृष्टता केंद्र का शुभारंभ

Update: 2022-02-01 05:30 GMT

कर्नाटक में धारवाड़ स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में 28 जनवरी, 2022 को सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा में विश्व उत्कृष्टता केंद्र (जीसीओई-एसीई) के शुभारंभ के अवसर पर एक वर्चुअल समारोह का आयोजन किया गया। यह समारोह भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के. विजय राघवन की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।

इस केंद्र को एचएचएसआईएफ द्वारा प्रदान किए जाने वाले कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) अनुदान का समर्थन मिल रहा है। एचएचएसआईएफ की सीएसआर परियोजना के पहले चरण में जीसीओई-एसीई के लिये उपकरणों की व्यवस्था करना है, जैसे कौशल विकास, संरचना तथा अनुसंधान और विकास उपकरण। इसके बाद आने वाले चरणों में नवोन्मेष को बढ़ावा दिया जायेगा तथा सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में मैदानी स्तर की समस्याओं के समाधान के लिए शुरुआती समर्थन प्रदान किया जायेगा।

आईआईटी धारवाड़ के डीन (अनुसंधान एवं विकास) प्रो. एसआरएम प्रसन्ना ने सभी का स्वागत किया और केंद्र के बारे में संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया। उन्होंने उल्लेख किया कि भारत को स्वच्छ ऊर्जा के लिये सौर, पवन, बायोमास और अन्य सस्ती प्रौद्योगिकियों का वरदान मिला है, जिनका विकास करके सदुपयोग किया जा सकता है। इस केंद्र का कार्य भी इसी दायरे मे होगा।

प्रो. के. विजय राघवन ने कहा कि ऊर्जा और ऊर्जा समाधान, जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव को कम करने और उसे अनुकूल बनाने का महत्वपूर्ण अंग हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों में सौर, पवन, परमाणु और ऊर्जा के अन्य स्वरूपों पर अनुसंधान में भारी बढ़ोतरी हुई है। इन अनुसंधानों के नतीजों को अभी बाजार को और प्रभावकारी बनाना है। आईआईटी धारवाड़ देश के ऐसे चंद संस्थानों में होगा, जो हनीवेल जैसे उद्योगों के साथ साझीदारी कर रहा है, ताकि युवा पीढ़ी को प्रशिक्षित किया जा सके, जिससे वे जलवायु परिवर्तन को कम करने तथा उसके साथ तालमेल बैठाने की जटिल समस्याओं का समाधान कर सकेंगे। दुनिया का तापमान बढ़ रहा है, जिसके कारण ज्यादा तापमान और ज्यादा आर्द्रता वाले क्षेत्रों में बड़ी चुनौतियां आने वाली हैं, जो लोगों को काम करने योग्य नहीं छोड़ेंगी। दूसरी चुनौती खेती-किसानी की है। इसके अलावा स्वास्थ्य क्षेत्र, चौबीसों घंटे और सातों दिन शिक्षा सुगमता के मद्देनजर शिक्षा क्षेत्र के लिये ऊर्जा उपलब्धता भी कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियों में शामिल है, जिन्हें जीसीओई हल करेगा। अंत में उन्होंने कहा कि सरकार ने एक हाइड्रोजन मिशन शुरू किया है। इसका एक उद्देश्य है सौर और पवन ऊर्जा जैसे स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों से बिजली उत्पादन करना। इसीलिये इसे हरित हाइड्रोजन ऊर्जा कहा जाता है। केंद्र के अनुसंधान और विकास प्रयास भी इसी दिशा में हो रहे हैं। इन पक्षों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ने सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा में इस तरह का केंद्र स्थापित करने के लिए आईआईटी धारवाड़, हनीवेल और सेलको फाउंडेशन के हितधारकों को धन्यवाद दिया।

आईआईटी धारवाड़ के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष श्री विनायक चटर्जी ने कहा कि सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा में वैश्विक उत्कृष्टता केंद्र की शुरुआत आईआईटी धारवाड़ के लिये एक ऐतिहासिक पड़ाव है। केंद्र अकादमिक गतिविधियों, गांवों में मैदानी परीक्षण के लिये प्रयोगशालाओं के विकास और अनुसंधान का काम करेगा। केंद्र में किये जाने वाले कामों का बड़े पैमाने पर देश के दैनिक कामकाज पर दीर्घकालीन प्रभाव पड़ेगा। हनीवेल इंडिया के अध्यक्ष और एचएचएसआईएफ के निदेशक श्री आशीष गायकवाड़ ने कहा, "ऊर्जा, जल और वायु सम्बंधी चुनौतियों का सामना करने के लिये समुदायों की मदद के प्रति हनीवेल कटिबद्ध है। आईआईटी धारवाड़ के साथ हमारी साझेदारी हमारे ग्रामीण समुदायों की बेहतरी के लिये स्वच्छ ऊर्जा समाधान के क्षेत्र में सस्ती तथा टिकाऊ प्रौद्योगिकी की खोज करेगी। यह भारत सरकार के उस लक्ष्य से भी मेल खाता है, जिसके तहत सरकार ने तय किया है कि 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा से देश की 50 प्रतिशत बिजली की जरूरत पूरी कर ली जाये।" आईआईटी धारवाड़ के निदेशक प्रो. पी. सेशू ने माननीय प्रधानमंत्री के संदेश को दोहराया कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को भारत का परिवर्तन-माध्यम बनना चाहिये। उन्होंने आश्वस्त किया कि यह केंद्र सस्ती तथा स्वच्छ ऊर्जा में संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य– 7 को हासिल करने की दिशा में काम करेगा। इसके अलावा वह माननीय प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को भी हासिल करने में योगदान करेगा। सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा इसलिए सबसे बेहतर क्षेत्र है, क्योंकि वह कई पहलुओं पर बहुपक्षीय प्रभाव डालता है। प्रौद्योगिकी विकास और प्रायोगिक स्तर पर उसके क्रियान्वयन के अलावा, सम्बंधित टीम के पास इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में क्षमता निर्माण में योगदान करने की भी योजना है। उन्होंने इस कदम के सफल होने की कामना की।

मैदानी स्तर की समस्याओं की पहचान/समाधान के लिये सेलको फाउंडेशन, इस केंद्र का साझीदार होगा। सेलको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और संस्थापक डॉ. हरीश हांडे ने कहा कि यह केंद्र बहुत अहमियत रखता है और वह स्वास्थ्य तथा आजीविका के लिये आवश्यकता-आधारित प्रभावशाली प्रौद्योगिकी की एक प्रणाली विकसित करेगा। उन्होंने कहा कि आईआईटी धारवाड़ ने उन नवोन्मेषियों और उद्यमियों के लिये अपने दरवाजे खोलने का बड़ा कदम उठाया है, जो आईआईटी पृष्ठभूमि से नहीं आते। यह कदम अन्य भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के लिये अच्छी मिसाल बनेगा।

इस अवसर पर अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित थे, जिनमें हनीवेल टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस लैब के अध्यक्ष श्री प्रताप सैमुअल; हनीवेल इंडिया और एचएचएसआईएफ की कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन और सीएसआर की वरिष्ठ निदेशक सुश्री पूजा ठाकरन; सेलको फाउंडेशन की निदेशक सुश्री हुदा जाफर तथा आईआईटी धारवाड़ के बोर्ड सदस्य और फैकल्टी सदस्य शामिल थे।

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