ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय कला कार्यशाला ‘एक्सप्रेशन्स’ का आज भव्य समापन हुआ। समापन समारोह में विश्वविद्यालय की पहली महिला (फ़र्स्ट लेडी) डॉ. मोनिका तनेजा ,पत्नी माननीय कुलपति प्रो॰ अजय तनेजा, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं, जबकि प्रो. तनवीर ख़दीजा, विभागाध्यक्ष, अंग्रेज़ी और आधुनिक यूरोपीय भाषाएँ, विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहीं।
समारोह की शुरुआत में डॉ. रुचिता सुजय चौधरी, नोडल अधिकारी, आर्ट गैलरी ने अतिथियों का स्वागत किया और कार्यशाला के पिछले तीन दिनों में आयोजित गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पहला दिन कैनवास और रंगों को समर्पित था, जिसमें प्रतिभागियों ने अपनी रचनात्मक सोच को कैनवास पर अभिव्यक्त किया। दूसरे दिन प्रतिभागियों ने लिपन और मंडला कला की तकनीकें सीखी। तीसरे दिन कार्यशाला DIY कल्चर के लिए समर्पित था, जिसमें प्रतिभागियों ने “कबाड़ से जुगाड़” वॉल डेकोर तैयार किए और अपनी कला कौशल का शानदार प्रदर्शन किया।
समारोह में अपने अध्यक्षीय संबोधन के दौरान डॉ. मोनिका तनेजा ने कहा, “कला केवल रंग, आकार और तकनीक तक सीमित नहीं है। यह हमारी भावनाओं, सोच और अनुभवों का सबसे सुंदर माध्यम है। कला के द्वारा हम अपनी संवेदनाओं, विचारों और जीवन के अनुभवों को दूसरों तक पहुँचा सकते हैं। यह हमारे समाज और संस्कृति के संरक्षण में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आज के युग में जब तकनीक और डिजिटल माध्यम हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गए हैं, कला हमें हमारी जड़ों, हमारी पहचान और हमारी सांस्कृतिक विरासत से जोड़े रखती है। इसी कारण कला का अध्ययन और अभ्यास जीवन के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के समान ही आवश्यक है। यह कार्यशाला विद्यार्थियों को न केवल रचनात्मक कौशल सिखाती है, बल्कि उन्हें यह भी सिखाती है कि कैसे हम अपने विचारों और भावनाओं को साकार रूप दे सकते हैं और समाज में सकारात्मक योगदान कर सकते हैं।”
डॉ. तनेजा ने आगे कहा कि इस तरह की कार्यशालाओं से विद्यार्थियों में आत्मविश्वास, सृजनात्मकता और टीम भावना का विकास होता है। उन्होंने प्रतिभागियों को प्रेरित करते हुए कहा, “कला एक ऐसा माध्यम है जो हमें अपनी असली पहचान दिखाने का अवसर देती है। जो छात्र आज इस कार्यशाला में शामिल हुए हैं, वे न केवल अपनी रचनात्मक क्षमता को उभारेंगे, बल्कि आने वाले समय में कला और संस्कृति के क्षेत्र में नई मिसाल कायम करेंगे।”
वहीं प्रो. तनवीर ख़दीजा ने भी अपने संबोधन में कहा कि इस तरह की कार्यशालाएँ विद्यार्थियों और कला प्रेमियों के लिए महत्वपूर्ण मंच हैं। उन्होंने प्रतिभागियों को प्रोत्साहित एवं उनकी प्रशंसा करते हुए कहा कि कला न केवल व्यक्तिगत विकास में सहायक होती है, बल्कि समाज और संस्कृति के संवर्धन में भी इसकी बड़ी भूमिका है। उन्होंने इस तरह के नवोन्मेषी प्रयासों को विश्वविद्यालय द्वारा निरंतर प्रोत्साहित करने की बात कही।
समापन समारोह में डॉ. शचिंद्र, डॉ. काज़िम, डॉ ममता, नसीब, मोहसिन, रोमा और यूसुफ़ सहित कई शिक्षकों और विशिष्ट अतिथियों ने हिस्सा लिया। इस तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन और संचालन डॉ. रुचिता सुजय चौधरी द्वारा किया गया।
कार्यशाला ने प्रतिभागियों को कला की विभिन्न विधाओं से परिचित कराने के साथ ही उन्हें रचनात्मक अभिव्यक्ति और संस्कृति के संरक्षण की प्रेरणा दी।