आत्म-सम्मान की उड़ान, बदलाव की नींव: डव और यूनिसेफ की पहल किशोरों को दे रही है नया विश्वास
लखनऊ, 29 अक्टूबर 2025 – डव (Dove) और यूनिसेफ इंडिया (UNICEF India) के प्रतिनिधियों ने उत्तर प्रदेश के बाराबंकी ज़िले के टिकरिया स्थित कॉम्पोज़िट स्कूल ( उच्च प्राथमिक विद्यालय जिसमें बालवाटिका से लेकर कक्षा 8 तक की कक्षाएँ हैं) का दौरा किया।
इस विद्यालय के छात्र और छात्राएँ डव और यूनिसेफ द्वारा समर्थित स्कूल-आधारित जीवन कौशल कार्यक्रम का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य किशोरियों में आत्मविश्वास बढ़ाना, समाज में व्याप्त रूढ़िवादिता को चुनौती देना और आवश्यक जीवन कौशल विकसित करना है।
दौरे के दौरान, डव के प्रतिनिधियों ने शिक्षकों से मुलाकात की। शिक्षकों ने बताया कि इस कार्यक्रम ने विद्यालय में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति और सहभागिता पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। प्रतिनिधियों ने कुछ विद्यार्थियों से भी बातचीत की और जाना कि आत्म-सम्मान से जुड़ी कॉमिक पुस्तकों ने कैसे उनके आत्मविश्वास को मज़बूत किया है।
उसी विद्यालय में पंखुड़ी नाम की एक छात्रा से भी मुलाकात हुई। पंखुड़ी को पहले अपने रूप-रंग को लेकर उपहास का सामना करना पड़ता था, जिससे वह आत्म-संदेह से जूझती थी। लेकिन विद्यालय में प्राप्त जीवन कौशल और आत्म-सम्मान की शिक्षा ने उसे अपने वास्तविक मूल्य को समझने में मदद की। अब वह बाहरी रूप-रंग या विज्ञापनों में दिखाए जाने वाले अवास्तविक सौंदर्य मानकों से ऊपर उठ चुकी है।
पंखुड़ी ने कहा,
“मेरा असली बल मेरा आत्मविश्वास है। मुझे अपने आप पर गर्व है।”
पंखुड़ी के ये शब्द इस कार्यक्रम के मूल उद्देश्य को दर्शाते हैं — बच्चों को यह सिखाना कि उनकी असली पहचान और मूल्य समाज द्वारा तय किए गए सौंदर्य मानकों से कहीं अधिक हैं।
बाद में, अभिभावकों ने भी साझा किया कि इस कार्यक्रम के चलते अब घरों और समुदायों में आत्मविश्वास और किशोरावस्था से जुड़ी बातों पर खुलकर चर्चा होने लगी है।
उत्तर प्रदेश का यह विद्यालय उन कई स्कूलों में से एक है, जो आठ राज्यों में डव और यूनिसेफ इंडिया द्वारा 2019 से चलाए जा रहे साझा कार्यक्रम का हिस्सा हैं। यह साझेदारी किशोरों, विशेषकर लड़कियों, को आत्म-सम्मान और शारीरिक आत्मविश्वास विकसित करने में मदद कर रही है।
डव की वैश्विक ब्रांड निदेशक (ग्लोबल ब्रांड डायरेक्टर) त्रिपर्णा चक्रवर्ती ने कहा,
“इस दौरे का हिस्सा बनना और पंखुड़ी जैसी छात्राओं से मिलना हमारे कार्य के प्रभाव को और भी स्पष्ट करता है। पंखुड़ी की दृढ़ता और आत्मविश्वास वास्तव में प्रेरणादायक है। ऐसी कहानियाँ दिखाती हैं कि आत्म-सम्मान कार्यक्रम कैसे लड़कियों को अपनी आवाज़ खोजने और अपने सपनों को आत्मविश्वास के साथ पूरा करने में मदद कर रहा है।”
कार्यक्रम की पहुँच और प्रभाव
अब तक इस साझेदारी के माध्यम से 1.8 करोड़ से अधिक विद्यार्थियों तक पहुँच बनाई जा चुकी है। इसमें शिक्षकों के प्रशिक्षण पर विशेष ज़ोर दिया गया है, ताकि खास तौर पर लड़कियों को सहयोग और प्रेरणा मिल सके।
डव–यूनिसेफ आत्म-सम्मान कार्यक्रम एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाता है, जो किशोरों में आत्मविश्वास और जीवन कौशल विकसित करता है।
* इस कार्यक्रम की सामग्री 11 से 18 वर्ष की आयु के विद्यार्थियों के लिए तैयार की गई है
* बड़े किशोरों के लिए पासपोर्ट टू अर्निंग (Passport to Earning) नामक निःशुल्क डिजिटल शिक्षण मंच पर ई-सामग्री उपलब्ध कराई जाती है।
* सरकार द्वारा संचालित किशोर मंचों के माध्यम से समुदाय स्तर पर भी सीधी भागीदारी सुनिश्चित की जाती है।
* अभिभावकों और समुदायों के लिए शरीर की छवि (बॉडी इमेज) और आत्मविश्वास पर आधारित विशेष सामग्री तैयार की गई है।
इन सभी प्रयासों से एक ऐसा सहायक वातावरण बन रहा है, जो किशोरों के आत्म-सम्मान और जीवन कौशल को सुदृढ़ करता है।
यूनिसेफ इंडिया की शिक्षा प्रमुख (चीफ़ ऑफ एजुकेशन) साधना पांडे ने कहा,
“आत्म-सम्मान का निर्माण किशोरों को विद्यालय में टिके रहने, स्वस्थ संबंध बनाने और अपने भविष्य के निर्णय सोच-समझकर लेने की नींव रखता है। यह साझेदारी लाखों विद्यार्थियों — विशेष रूप से लड़कियों — को आत्मविश्वास से निर्णय लेने और अपनी बात रखने की शक्ति दे रही है।”
डव और यूनिसेफ राज्य सरकारों के साथ मिलकर आत्म-सम्मान शिक्षा की पहुँच को और बढ़ाने के लिए कार्य करते रहेंगे — प्रत्यक्ष प्रशिक्षण, DIKSHA जैसे ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म और यूनिसेफ के पासपोर्ट टू अर्निंग डिजिटल मंच के माध्यम से।
साथ मिलकर, डव और यूनिसेफ इंडिया एक आत्मविश्वासी, दृढ़ और नेतृत्व क्षमता से भरपूर नई पीढ़ी का निर्माण कर रहे हैं, जो अपने समुदायों में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए तैयार है।