सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सभी राज्य बोर्डों की एक जैसी मूल्यांकन स्कीम नहीं हो सकती, कोरोना के कारण रद्द हुई थीं 12वीं की परीक्षाएं
अदालत ने सभी बोर्डों द्वारा एक समान मूल्यांकन योजना का पालन करने के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पूरे भारत में सभी राज्य बोर्डों के मूल्यांकन के लिए एक समान योजना नहीं हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने 12वीं कक्षा की परीक्षा रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए ऐसा आदेश पारित करने से इनकार किया. जस्टिस एएम खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि हर बोर्ड स्वायत्त और अलग है. ऐसे में कोर्ट एक समान मूल्यांकन स्कीम तय करने का आदेश नहीं दे सकता. दरअसल कोरोना के कारण सीबीएसई और आईसीएसई समेत सभी राज्यों ने 12वीं की परीक्षा रद्द कर दी थीं.
CBSE और ICSE बोर्ड द्वारा सुप्रीम कोर्ट में मूल्यांकन का फॉर्मूला दिया गया जिस पर सुप्रीम कोर्ट अपनी सहमति दे चुका है. इस फॉर्मूले के तहत 12वीं के रिजल्ट में छात्रों को 30 फीसदी वेटेज 10वीं के रिजल्ट को, 30 फीसदी वेटेज 11वीं फाइनल के रिजल्ट को और 40 फीसदी वेटेज 12वीं प्री-बोर्ड के रिजल्ट को दिया जाएगा. 12वीं की मार्केशीट तैयार करने की डिटेल देते हुए सीबीआई ने कहा कि 10वीं के 5 विषय में से 3 विषय के सबसे अच्छे मार्क को लिया जाएगा, इसी तरह 11वीं के पांचों विषय का एवरेज लिया जाएगा और 12वीं के प्री-बोर्ड एग्जाम और प्रेक्टिकल का नंबर लिया जाएगा. 10वीं के नंबर का 30 परसेंट, 11वीं के नंबर का 30 परसेंट और 12वीं के नंबर के 40 परसेंट के आधार पर नतीजे आएंगे.
अराधना मौर्या