अनुच्छेद 370 हटने के 6 साल पूरे, जम्मू-कश्मीर में विकास ने पकड़ी रफ्तार
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए के खात्मे को आज 6 वर्ष पूरे हो गए हैं। मोदी सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया था। साथ ही जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग कर दोनों को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला लिया गया था।
इस फैसले के तहत राज्य का विशेष दर्जा खत्म हो गया और उसे पूरी तरह भारतीय संविधान के ढांचे में शामिल कर लिया गया। एक देश-एक संविधान के तहत केंद्र का यह वो ऐतिहासिक फैसला था, जिसने जम्मू-कश्मीर की सूरत बदल दी। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, लेकिन अनुच्छेद 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त था।
दरअसल, भारत का अभिन्न अंग होने के बावजूद जम्मू-कश्मीर में भारत के कानून लागू नहीं होते थे, यहां देश का विधान लागू नहीं होने के साथ यहां का निशान भी अलग था। अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में काफी बदलाव देखने को मिला। पिछले 6 सालों में आतंकवादी घटनाओं में गिरावट आई। 2004 से 2014 के बीच 7,217 आतंकी घटनाएं हुई थी, जो 2014 से 2024 के बीच घटकर 2,242 रह गई हैं।
इसी के साथ क्षेत्र में शासन, बुनियादी ढांचे एवं नागरिक भागीदारी में बड़ा परिवर्तन आया है। अनुच्छेद 370 को निरस्त होने के बाद, जम्मू-कश्मीर में विकास कार्यों ने रफ्तार पकड़ ली है। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 तक कुल 92,560 प्रोजेक्ट्स पूरे किए गए, जबकि 2018-19 में ये संख्या सिर्फ 9,229 थी।
वहीं सड़क कनेक्टिविटी को लेकर रिपोर्ट में बताया गया है कि जम्मू से श्रीनगर जाने में अब पहले के मुकाबले काफी कम समय लगता है। केंद्र सरकार के अहम फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर में पर्यटन भी बढ़ा। 2024 में जम्मू में कुल 2 करोड़ 36 लाख पर्यटक आए। अब राज्य में भारी मात्रा में निवेश आ रहा है।
जहां पहले 70 सालों में जम्मू-कश्मीर को केवल 14,000 करोड़ का निवेश मिला था, वहीं पिछले 2014 से 2023 के बीच 12,000 करोड़ का इंडस्ट्रियल निवेश हुआ है। अब कश्मीर को भारतीय फिल्म उद्योग से फिर से जोड़ने के लिए काम हो रहा है। घाटी में 5,000 से अधिक नए होटल बने हैं, जो इस क्षेत्र में बढ़ते निवेश और विश्वास को दर्शाता है। कश्मीर में 65 प्रतिशत से अधिक होमस्टे महिलाओं द्वारा संचालित किए जा रहे हैं।