प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी के अनुसार हरितालिका तीज और विनायक चतुर्थी एक ही दिन ...
प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी के अनुसार भाद्र शुक्ल तृतीया तिथि 17 सितम्बर को सुबह 09:39 मिनट पर लगेगी जो 18 सितम्बर को दिन में 10-27 मिनट तक रहेगी तीज व्रत की पारन 19 सितम्बर को किया जायेगा।
तिथि पर पार्थिव शिव-पार्वती की मूर्ति का पूजन तथा कथा श्रवण कर रात्रि जागरण करने से सौभाग्य की रक्षा होती है। तिथि विशेष पर धर्मप्राण स्त्रियों को चाहिए कि हाथ में जल अक्षत पुष्पादि लेकर मन में शिव-पार्वती के सायुज्य सिद्धि के लिए हरितालिका तीज करूंगी, यह संकल्प कर भूमि पर मंडापादि सुशोभित कर पूजा सामग्री एकत्र कर कलश स्थापन कर, उस पर स्वर्णादि निर्मित या शिवपार्वती की मूर्ति स्थापित कर विधिवत पंचोपचार या पशोपचार पूजन करें।
पूजनोपरांत क्षमा प्रार्थना जरूर कर लेना चाहिए। इस व्रत को सुहागिनें अपने सौभाग्य की रक्षा और कन्याएं मनोनुकूल पति की प्राप्ति के लिए करती है |
बेलहिया चौथ सनातन धर्म में पचदेवताओं में प्रमुख विघ्न विनाशक के साथ ही प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश का जन्म भाद्र शुक्ल चतुर्थी को माना जाता है। इनके जन्म को अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग रूप में मनाते हैं। महाराष्ट्र में बड़ी धूमधाम से भाद्र शुक्ल चतुर्थी से गणेशोत्सव प्रारंभ होता है। तमिलनाडु में वैनायकी चतुर्थी और बंगाल में सौभाग्य चतुर्थी के रूप में में मनाया जाता है। इस बार वैनायकी गणेश चतुर्थी 18 सितम्बर को मनाया जायेगा। चतुर्थी तिथि 18 सितम्बर को दिन में 10:27 मिनट से लग रही है जो 19 सितम्बर को दिन में 10:53 मिनट तक रहेगा। इसे उत्तर भारत में बेलहिया चौथ के नाम से भी जाना जाता है।
शास्त्र अनुसार चौथ की गणना शास्त्र के अनुसार जिस दिन चंद्रास्त में मिल रहा हो या युक्त षोडशोपचार पूजन करें। में चंद्रास्त होता है उसी दिन बेलहिया चौथ होता है। इस बार 18 सितम्बर को चंद्रास्त रात्रि 07:50 पर हो रहा है। कहा जाता है कि इस रात्रि में चंद्रमा को देखने से दोष होता है तथा कलंक लग सकता है। लोकाचार में इसके निवारणार्थं चार-पांच
कंकर या ढेला फेंकने से यह दोष समाप्त होता है या सेमन्तक की कथा श्रवण से भी दोष समाप्त होता है।
भगवान गणेश का जन्म व पूजन :भगवान श्रीगणेश का जन्म मध्याहन में हुआ था। इस बार गणेश चतुर्थी पर स्वाति नक्षत्र का अद्भुत संयोग जन्मोत्सव में चार चांद लगायेगा। तिथि विशेष पर प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर हाथ में जल अक्षत पुष्प लेकर संकल्प करें। संकल्प में मेरे जीवन में आने वाले सभी तरह के विघ्नो को नाश हो चातुर्दिक सुख की प्राप्ति हो। इस निमित्त गणेश चतुर्थी का व्रत व जन्मोत्सव करूँगा या करुँगी फिर भगवान का मध्यान्ह में पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करे |
मोदक लड्डू ऋतू फल दूर्वा के साथ ही गणेश सहस्त्रनाम , गणेश चालीसा या गणेश मन्त्र आदि का पाठ करना चाहिए | इस व्रत को करने से समस्त बाधाओं का नाश होता है जीवन निर्विघ्न व्यतीत होता है |