नीट-यूजी विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कोचिंग संस्थान की याचिका पर जताया आश्चर्य
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को नीट-यूजी परीक्षा के आयोजन में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए एक कोचिंग संस्थान की ओर से रिट याचिका दायर करने पर आश्चर्य जताया।
जस्टिस मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली वेकेशन बेंच ने नीट छात्रों के लिए चलाए जा रहे कोचिंग संस्थान जाइलम लर्निंग का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील से पूछा, "आपके कौन से मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है कि आप संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका लेकर यहां पहुंच गए?"
जवाब में वकील आर. बसंत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मामले में दायर याचिका में छात्रों को भी याचिकाकर्ता बनाया गया है।
अधिवक्ता ए. कार्तिक के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) से प्रकाशित सूचना बुलेटिन के अनुसार, कई छात्रों को ओएमआर उत्तर पुस्तिकाएं उपलब्ध नहीं कराई गई हैं।
याचिका में कहा गया है कि छात्रों ने ईमेल भेजकर एनटीए से संपर्क किया, लेकिन उन ईमेल का जवाब नहीं दिया गया। इससे छात्र अपनी उत्तर पुस्तिकाएं देखने और 'आंसर की' के साथ उसका मिलान करने से वंचित हो गए।
पीठ में जस्टिस एसवीएन भट्टी भी शामिल थे। पीठ ने कहा, "इस मामले को लंबित याचिकाओं के समूह से जोड़ा जाए।"
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा, "श्री वर्धमान कौशिक ने एनटीए की ओर से नोटिस स्वीकार कर लिया है। इसी तरह के कुछ मामले इस कोर्ट में हैं और इस मामले को भी उसी के साथ जोड़ दिया जाय।"
इस बीच, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को कहा कि सरकार पेपर लीक के मामलों में निष्पक्ष जांच और दोषियों को कड़ी सजा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।