मध्य प्रदेश में रक्षाबंधन का पर्व उत्साह और उमंग के साथ मनाया जा रहा है। शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ी है और अपने आराध्य को श्रद्धालु राखी अर्पित कर रहे हैं। इसी तरह उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भी भस्म आरती के समय बाबा महाकाल को वैदिक राखी बांधी गई।
राज्य में सावन मास के सोमवार को रक्षाबंधन होने के कारण शिव मंदिरों से लेकर अन्य मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है। हर भक्त जहां अपने आराध्य को राखी अर्पित कर रहा है, वहीं सुखमय जीवन की मंगल कामना भी कर रहा है। मंदिरों में विशेष आयोजन हो रहे हैं और मंदिर के पंडित पुजारी भक्तों की कलाई में राखी बांध रहे हैं।
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती के समय पुजारी ने वैदिक राखी बांधी। मंदिर के पुजारी पंडित आशीष के अनुसार, बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार किया गया और उन्हें वैदिक राखी बांधी गई। यह वैदिक राखी 7 दिनों में बनकर तैयार होती है। शास्त्रों के अनुसार, इस राखी को तुलसी के पत्र से लेकर बिल्व पत्र, लौंग, इलायची से बनाकर तैयार किया जाता है और वह रक्षा सूत्र के माध्यम से बांधी जाती है जिससे विश्व का कल्याण हो, भारत की रक्षा हो। इस राखी को पुजारी परिवार की महिलाओं द्वारा तैयार किया जाता है।
आज भस्मारती के पहले ही ढाई बजे से पट खोल दिए गए और बाबा महाकाल का राजा स्वरूप में श्रृंगार किया गया। इस मौके पर बाबा महाकाल को बेसन और शुद्ध घी से बने सवा लाख लड्डुओं का भोग लगाया गया। यहां आने वाले भक्तों की रविवार रात से ही कतारें लगनी शुरू हो गई थी और हर कोई भस्म आरती के समय मौजूद रहकर बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए लालायित था।
सावन मास का पांचवा सोमवार है और महाकाल दर्शन करने वाले श्रद्धालु लाखों की तादाद में यहां पहुंचे हैं। सोमवार की शाम को बाबा महाकाल की सवारी निकलेगी।
परंपरा के अनुसार, सावन के हर सोमवार को बाबा महाकाल अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकलते हैं। इस बार बाबा महाकाल की सावन-भादो मास में कुल सात सवारियां निकाली थी, जिनमें से आज सोमवार को पांचवी सवारी निकलेगी। इसके बाद भादो मास में छठी सवारी 26 अगस्त और आखिरी तथा शाही सवारी 2 सितंबर को निकलेगी।