प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी के अनुसार जन्माष्टमी पर द्वापर जैसा अद्भुत संयोग

Update: 2024-08-25 08:23 GMT

इस बार जन्माष्टमी अपने आप में विशिष्ट है भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी को अर्धरात्रि में रोहिणी नक्षत्र व वृष राशि का सहयोग मिल रहा है द्वापर के अंत में भगवान श्री कृष्ण का जन्म तिथि नक्षत्र व राशि की इसी युति में हुआ था   कृष्ण अष्टमी की मध्य रात्रि में रोहिणी नक्षत्र के सहयोग को शास्त्रों में जयंती योग कहा गया है जिससे अनंत पुण्य फलदाई और सर्वोपरि  माना जाता है|




प्रख्यात ज्योतिषाचार्य  पंडित  ऋषि द्विवेदी के अनुसार गृहस्थ जन् इस बार श्री कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाएंगे  वैष्णव जन प्रभु का जन्मोत्सव 27 अगस्त को मनाएंगे इसी दिन मथुरा वृंदावन में गोकुलाष्टमी मनाई जाएगी  कृष्ण अष्टमी तिथि 26 अगस्त को सुबह 8:30 पर लग रही है जो 27 अगस्त की प्रातः 6:34 तक रहेगी |

रोहिणी नक्षत्र 26 अगस्त को रात्रि 9:10 पर लग रही है जो 27 अगस्त की रात्रि 1:23 तक रहेगी श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत का पारण ग्रहण 27 अगस्त को करेंगे भगवान विष्णु के दशावतारों में सर्व प्रमुख पूर्ण अवतार प्रभु श्री कृष्ण का जन्म द्वापर के अंत में भाद्रपद कृष्ण अष्टमी बुधवार को रोहिणी नक्षत्र में अर्ध रात्रि में वृष राशि के चंद्रमा में हुआ था यह सर्वमान्य व पपग्न   व्रत बाल,कुमार, युवा वृद्ध सभी अवस्थाओं वाले नर नारियों को करना चाहिए इससे अनेक अनेक पापों की निवृति  और सुखादी की वृद्धि होती है प्रभु का रात्रि में जन्मोत्सव मनाने के साथ जागरण व भजन आदि करना चाहिए इस व्रत को करने से पुत्र धन ऐश्वर्य समेत समस्त कामनाएं पूरी होती है|

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