प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिल्ली के विज्ञान भवन में 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा, "मराठी भाषा एक समृद्ध और पूर्ण भाषा है, जिसमें साहस, सुंदरता, समरसता, शक्ति, भक्ति और युक्ति है। यह भाषा न केवल संस्कृति की वाहक है, बल्कि भारतीयता की पहचान भी है।" प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने के बाद, यह एक ऐतिहासिक पल है, जिसे पूरा देश देख रहा है।
प्रधानमंत्री ने मराठी साहित्य के इतिहास और उसके योगदान को याद करते हुए कहा कि भारतीय भाषाओं की विविधता ही हमारी एकता का आधार है। उन्होंने मराठी भाषा को भक्ति आंदोलन और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जन जागृति में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली भाषा बताया। साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र के महान संतों के कार्यों का उल्लेख किया, जिन्होंने मराठी के माध्यम से समाज में नई दिशा दी।
उन्होंने यह भी कहा कि "मराठी में समाज की संवेदनाओं का प्रकटीकरण है और यह भाषा हर परिस्थिति में समानता और समरसता का संदेश देती है।" प्रधानमंत्री ने छत्रपति शिवाजी महाराज, बाबा साहेब आंबेडकर और अन्य महान व्यक्तित्वों के योगदान को भी याद किया। इन महापुरुषों ने मराठी भाषा को अपने संघर्षों का माध्यम बनाकर समाज में नवचेतना का संचार किया।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, "यह सम्मेलन मराठी साहित्य की महत्ता और उसके समकालीन संदर्भ में भूमिका पर विमर्श करने का शानदार अवसर है। यह भाषाई संरक्षण, अनुवाद और डिजिटलization जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विचार करेगा।" उन्होंने साहित्य सम्मेलन के 150 वर्षों की यात्रा की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह आयोजन उन सभी साहित्य प्रेमियों के लिए प्रेरणास्त्रोत साबित होगा जो मराठी साहित्य को प्रोत्साहित करने के लिए काम कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने इस सम्मेलन के आयोजन को विशेष रूप से महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि सम्मेलन का आयोजन उन ऐतिहासिक अवसरों पर हो रहा है जब हम छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ और अहिल्याबाई होलकर के जन्म की 300वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। इसके अलावा, भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ भी हाल ही में मनाई गई है।
इस तीन दिवसीय सम्मेलन में 2600 से अधिक कविताओं की प्रविष्टियां, 50 पुस्तक विमोचन और 100 पुस्तक स्टॉल्स होंगे। साहित्यकारों, लेखकों, कवियों और साहित्य प्रेमियों का यह विशाल समूह इस आयोजन में भाग ले रहा है। प्रधानमंत्री ने युवाओं से अपील की कि वे सोशल मीडिया के माध्यम से मराठी साहित्य को बढ़ावा दें।
प्रधानमंत्री ने कहा, "यह सम्मेलन हमारे राष्ट्र की विविधता और समृद्धि का प्रतीक है। आने वाले समय में, यह सम्मेलन अपनी 150वीं वर्षगांठ मनाएगा और हम सभी को इस विशेष अवसर के लिए तैयारी करनी चाहिए।"