रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत का फ्रंटल असॉल्ट है। उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ ऐसे हर उपाय अपनाएगा, जिनकी पाकिस्तान कल्पना कर सकता है, और ऐसे भी जिनकी वह कल्पना भी नहीं कर सकता। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह बयान भारतीय नौसेना के स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर सवार होकर दिया। वे ऑपरेशन सिंदूर में निर्णायक भूमिका निभाने वाले कैरियर बैटल ग्रुप के नौसैनिकों से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने स्पष्ट किया कि अब जब भी पाकिस्तान भारत के खिलाफ किसी आतंकी हरकत को समर्थन देगा, तो उसे उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। रक्षा मंत्री ने चेतावनी दी कि अगली बार कार्रवाई की शुरुआत भारतीय नौसेना की ओर से भी हो सकती है, और भारत हर बार की तरह निर्णायक जीत हासिल करेगा।
पाकिस्तान को आड़े हाथों लेते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि उसकी जमीन पर आतंकवाद की नर्सरी खुलेआम फल-फूल रही है। भारत अब सीमा के इस पार और उस पार, हर स्थान पर आतंकियों और उनके सरपरस्तों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को हाफिज़ सईद और मसूद अज़हर जैसे आतंकवादियों को भारत को सौंपना चाहिए। ये दोनों सिर्फ भारत के मोस्ट वांटेड नहीं, बल्कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी भी हैं। हाफिज़ सईद पर 26/11 मुंबई हमलों की साजिश रचने का आरोप है, और उस पर भारत में मुकदमा चलना जरूरी है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान लगातार बातचीत की पेशकश करता रहा है, लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि बात तभी होगी जब मुद्दा आतंकवाद और पाक अधिकृत कश्मीर होगा। यदि पाकिस्तान वाकई गंभीर है, तो उसे पहले इन आतंकियों को भारत को सौंप कर दिखाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना की ‘silent service’ ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जिस रणनीतिक क्षमता का परिचय दिया, वह सराहनीय है। बिना आवाज़ के भी नौसेना ने पाकिस्तानी सेना की गतिविधियों को सीमित करने में सफलता पाई और हर भारतवासी को गौरव का अनुभव कराया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 29 मई को गोवा पहुंचे थे और उन्होंने नौसेना के उन अग्रिम युद्धपोतों का दौरा किया, जो ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आईएनएस विक्रांत के नेतृत्व में तैनात थे। इस ऑपरेशन में भारतीय नौसेना ने पाकिस्तानी नौसैनिक इकाइयों को मकरान तट तक सीमित कर दिया था।
आईएनएस विक्रांत वर्तमान में अरब सागर में तैनात है और यह पहली बार है जब भारत का स्वदेशी विमानवाहक पोत किसी बड़े समुद्री सैन्य अभियान का नेतृत्व कर रहा है। रक्षा मंत्री का यह दौरा नौसेना की बढ़ती रणनीतिक क्षमताओं और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है।
स्त्रोत: PIB