पुराने वाहनों को बेचने के लिए एनओसी मिलेगी अब नजदीकी सीएससी केन्द्रों पर

Update: 2021-10-28 15:07 GMT

कोरोना काल में सेकेंड हैंड व्हीकल की खरीद-बिक्री खूब हो रही है। ऐसे में लोग चोरी के वाहन भी बेच कर खूब पैसे बना रहे हैं। ग्रामीण और दूर दराज के इलाके में तो पता भी नहीं चलता और लोग ठगे जाते हैं। अब गांव में ही पता चल जाएगा कि यह व्हीकल सही मालिक बेच रहा है या चोर बेच रहा है। इसके लिए नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) और कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) में करार हुआ है। लोगों को सेकेंड हैंड व्हीकल खरीदने में परेशानी नहीं हो,

भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा संचालित सीएससी कॉमन सर्विस सेंटर ने गृह मंत्रालय के निकाय नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ( NCRB ) के साथ करार किया है। इसके तहत जनपद में मौजूद कॉमन सर्विस सेंटर को सेकेंड हैंड गाड़ी खरीदने वालों को उस व्हीकल के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी।

सीएससी से मिलेगा एनओसी

वैसे तो नियम है कि सेकेंड हैंड व्हीकल खरीदने के लिए एनसीआरबी से एनओसी लिया जाए। पर गांवों या दूररदाज के इलाकों में ऐसा होता नहीं है। दरअसल, सब जगह एनसीआरबी का दफ्तर भी नहीं है। इसलिए एनसीआरबी ने सीएससी से करार किया है, क्योंकि इसकी पहुंच देश के गांव-गांव तक है। इस करार का शुभारंभ केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के निदेशक और केंद्रीय गृह मंत्रालय तथा नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो और कॉमन सर्विस सेंटर के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति मैं किया था

एनओसी क्या है?

नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) एक राज्य से दूसरे राज्य में किसी वाहन के दोबारा पंजीकरण के लिए क्षेत्रीय आरटीओ से जारी एक कानूनी दस्तावेज है। पते के परिवर्तन और पुनः पंजीकरण के लिए आवेदन के लिए स्थानीय आर.टी.ओ से एक एनओसी की आवश्यकता होती है, जहां आपको अपना वाहन पंजीकृत कराया गया है।

सीएससी जिला प्रबंधक रवि वर्मा ने बताया कि इस सुविधा से नागरिकों को निकटतम सीएससी केंद्र से एनओसी प्राप्त करने में मदद मिलेगी। सीएससी इस सुविधा के बारे में लोगों के बीच जागरूकता भी पैदा करेगा।

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