एसिडिटी या पेट से जुड़ी समस्याओं की वजह बन सकता है मिर्च-मसालेदार भोजन

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एसिडिटी या पेट से जुड़ी समस्याओं की वजह बन सकता है मिर्च-मसालेदार भोजन

मिर्भोजन

अगर खाने का स्वाद बढ़ाना हो तो मिर्च-मसाले और तड़के का होना बहुत ज़रूरी होता है लेकिन तब जब सीमित मात्रा में इनका इस्तेमाल किया जाता है। बहुत ज्यादा मात्रा में मसालों का इस्तेमाल व्यंजनों का मूल स्वाद बदल देता है।अजीब बात यह ह कि तेज मिर्च मसाले के शौकीनों को खाते वक्त जब तक पसीने न निकले उनको संतुष्टि ही नहीं मिलती। वरना दाल-सब्जियां उन्हें घास या बकवास लगती है। कुछ तो अपनी दाल-सब्जियों में अलग से तड़का बनाकर डालते हैं।

जब तेज मिर्च मसालों का इस्तेमाल किया जाता है तो उसमें जरूरत से ज्यादा नमक डालना पड़ता है क्योंकि मिर्च मसाले तभी उठते हैं जबकि नमक अधिक हो। नमक की अधिकता ब्लडप्रेशर को बढ़ा देती है। यही नहीं, उसे खतरनाक स्तर तक पहुंचा देती है।

तेज मिर्च मसाले सर्दियों में तो फिर भी चल सकते हैं लेकिन गर्मी में इनका सेवन कदापि उचित नहीं। बारिश में तो पाचन तंत्र कमजो हो जाता है इसलिए इस तरह का भोजन नुकसानदायक ही होता है। कई लोगों को घर का बना सादा भोजन रास नहीं आता। वे होटल, ढाबे में खाना पसंद करते हैं क्योंकि वहां का बना भोजन तीखा होता है। वे हटकर खा तो लेते हैं लेकिन उसके बाद क्या होता है? घर आने के बाद उन्हें हाइपर एसिडिटी का सामना करना होता है। पेट में गैस बनती ह। पेट फूल जाता है। छाती में जलन होने लगती है, खट्टी डकारें आने लगती हैं। गैस जब ऊपर चढ़ती है तो घबराहट, बेचैनी होती है, हृदय पर दबाव डालती है तो वहां दर्द होने लगती है। हृदय की धड़कन बढ़ जाती है।

जब एसिडिटी उन्हें परेशान करने लगती है तो इसे दूर करने के लिए वे एंटासिड लेते हैं यानी दवा। अगर एसिडिटी से दूर रहना है तो सादा, कम मिर्च मसाले वाला भोजन करें जो कि सुपाच्य होता है। चटपटे व्यंजनों को देखकर ललचाएं नहीं। फास्टफूड से दूर रहें। मिर्च चाहे हरी हो या लाल, सीमित मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिए।

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