उत्तर प्रदेश में खाद्य तेल की मांग बढ़ने के कारण तेल के दामों में बढ़ोत्तरी की संभावना

Update: 2021-09-04 05:21 GMT

 

आम आदमी के जीवन में तेल रोजमर्रा की चीजों में प्रयोग किए जाने वाला उत्पाद है। गरीब से गरीब और अमीर से अमीर व्यक्ति खाद्य तेल का प्रयोग अपने रोजाना जीवन में करता है। ऐसे में बाजारों में तेल की कीमत लगातार बढ़ने से आम आदमी कि जेब पर गहरा असर पड़ रहा है।

आपको बता दें कि बाजारों में सरसों तेल एवं रिफाइंड तेल एमएसपी से ₹4200 अधिक के रेट से बेचा जा रहा है। बता दें कि विदेशी बाजार में तेल की कीमतें गिरने के बावजूदक्षदिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शुक्रवार को सोयाबीन, कच्चा पॉम तेल एवं पामोलीन तेल कीमतों में कोई बदलाव नहीं देखने को मिला। इसके विपरीत सोयाबीन दाना की अलग अलग स्थानों पर ऊंचे दामों पर खरीद होती दिखी।

अन्य स्थानों की बात करें तो फिलहाल सोयाबीन का भाव ९१०० रुपये से 9,500 रुपये क्विन्टल है। इसके विपरीत सोयाबीन की नई उपज के लिए कारोबार में बोली कम चल रही है।

इस दौरान कई एक्सपर्ट्स ने कहा कि मुर्गीदाने और मवेशियों के चारे में उपयोग होने वाली सोयाबीन खल का आयात सस्ता पड़ता है। दूसरी ओर ऊंचे भाव पर मांग प्रभावित होने से सोयाबीन तेल में गिरावट रही।

गौरतलब है कि बाजार में सरसों तेल की आवक कम है और त्योहारों के सीजन में इसकी मांग बढ़ने की संभावना है। कम आवक की वजह से ही देश के कई बाजारों में सरसों के रेट काफी तेज हैं, सरकार ने सरसों की एमएसपी 4650 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। इस सप्ताह बुधवार को उत्तर प्रदेश की सलोनी, आगरा और कोटा (राजस्थान) में सरसों दाना के 8,900 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिका।

एमएसपी से काफी अधिक भाव पर बिक रहा सरसों बाजार में सरसों की आवक कम है और आने वाले त्योहार सीजन में इसकी मांग बढ़ेगी। मगर किसान इससे काफी अधिक दामों पर अपनी उपज बेच रहे हैं | 

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि देश में, विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों त्योहारों के कारण सरसों तेल और तिलहन की मांग में तेजी आई है, जिसका असर बाजार भाव पर पड़ रहा है. वहीं सामान्य कारोबार के बीच मूंगफली तेल तिलहन, बिनौला तेल के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।

नेहा शाह

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