कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का जवाब देते हुए किसानों ने लिखा कि हमारी ज़मीन हड़प सकती है सरकार

Update: 2020-12-20 07:45 GMT


शनिवार को आंदोलन कर रहे किसानों ने खुला पत्र जारी करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पत्र का जवाब दिया। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति ने सरकार के दावों को नकार दिया है। पत्र में बिंदुवॉर  तरीके से किसानों ने  सारे जवाब लिखे  है। समिति ने सरकार को पत्र लिखते हुए एक बार फिर कृषि कानून को वापस लेने कि मांगे की है ।

आपको बता दे देश की राजधानी दिल्ली में किसान आज लगातार 23 दिनो से केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है। किसानों की यूनियन का कहना है कि ये कानून सरकार ने सिर्फ बड़े उद्यगपतियों को और  बड़ा बनाने के लिए बनाया है। इस कानून से किसानों को कोई फायदा नहीं होगा। अपितु उनकी आमदनी कम हो जाएगी ।

हालाकि सरकार ने किसानों के इस भ्रम को दूर करते हुए कहा है कि किसानों को पहले की तरह ही एमएसपी दी जाएगी। और नए कृषि कानूनों से उनकी आय में वृद्धि ही होगी। सरकार ने एमएसपी को लिखित रूप से देने के लिए नहीं कहा परन्तु किसानों का कहना है कि वह इस कानून में कोई संशोधन नहीं बल्कि कानून ही रद्द करना चाहते है। सरकार से कई दौर की बैठक के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल पा रहा है। जिसके बाद किसानों ने अपना आंदोलन विकराल कर लिया है। दिल्ली में किसान चक्का जाम लगा रहा हैं। जोकि बेहद चिंता जनक बात है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को चिठ्ठी लिखकर निवेदन किया था कि वो इस कानून की सच्चाई को समझे जिसके बाद किसानों ने कृषि मंत्री की चिठ्ठी का जवाब कुछ इस तरह दिया।

समिति ने कृषि मंत्री के पत्र का जवाब देते हुए कहा कि किसानों की जमीनों को कोई खतरा नहीं है, ठेके में जमीन गिरवी नहीं रखी जाएगी। और जमीन के किसी भी प्रकार के हस्तांतरण का करारा नहीं होगा। लेकिन ठेका खेती कानूनी की धारा 9 में साफ लिखा है कि किसानों  को लागत के समान का पेमेंट कंपनी को करना है, उसके पैसे की व्यवस्था कर्जदाता संस्थानों के साथ एक अलग समझौता करके पूरी होगी। जो इस ठेके के अनुबंध से अलग होगा। और कर्जदाता संस्थान किसान की जमीन गिरवी रख कर ही देती हैं।

सरकारी मंडिया, एमएसपी आर सरकारी खरीद पर आपका आश्वासन है कि ये जारी  रहेंगे। जब सरकार कॉरपोरेट को प्रोत्साहन करेगी तो ये व्यवस्था भी धीरे धीरे खत्म हो जाएगी।

आपने दावा किया है कि आपने लागत का डेढ़ गुना एमएसपी घोषित किया है,जो पूरी तरह से गलत है।

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया है कि डेढ़ गुना नहीं दे सकते।

कहीं भी मंडी में अपना सामान बेचने के कृषिं मंत्री की दावों पर किसानों ने कहा कि हर मंडी के पास के किसान कई दिनों तक डेरा डाले बैठे रहते हैं ताकि उनकी फसल खरीद ली जाए।

इसलिए क्योंकि दूसरी किसी मंडी में फसल ढोकर ले जाने का आर्थिक बोझ को सहन नहीं कर सकते। सरकार कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड एक लाख करोड़ रुपए के आवंटन का दावा कर रही है।

अच्छा होता इस फडं को आप सीधे तौर पर या सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को सिंचाई ट्रैक्टर या अन्य मशीनरी, लागत की अन्य सामग्री , भंडाराण, शीत ग्रह तथा बिक्री की व्यवस्था कराते। ताकि किसानों को कुछ लाभ प्राप्त होता।

आपको बता दें कि किसानों ने सरकार की सारी बातों को खारिज करते हुए पत्र में हर एक वाक्य का जवाब दिया। जिस में उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया है कि यदि हमने इस कानून को रद्द नहीं करवाया तो सरकार हमारी जमीन भी रख लेगी।

नेहा शाह

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