नागरिकता संशोधन कानून निरस्त करने के लिए कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रपति से की मुलाकात
कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में राजनीतिक दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से यह मांग की कि वह सरकार से नागरिकता संशोधन कानून को वापस लेने के लिए कहें। इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रपति को संसद से विधेयक पारित होने के बाद से देश भर में तनावपूर्ण हालात से भी अवगत कराया ।
जामिया विश्वविद्यालय और पूर्वोत्तर की घटनाओं को प्रस्तुत करते हुए पूरे मामले में दखल देने की मांग की है वहीं पर बसपा विपक्ष की इस पूरी गोलबंदी से अलग रही ।बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने संसद भवन परिसर के बाहर पत्रकारों से चर्चा में कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर राष्ट्रपति से मिलने के लिए अलग से समय मांगा है वहीं पर इस प्रकरण से शिवसेना भी पूरी तरह से अलग-थलग दिखी।
राष्ट्रपति से मिलकर निकले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर जनता की आवाज को दबाने का आरोप लगाया है साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जामिया विश्वविद्यालय की घटना इसका एक उदाहरण है जहां कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों को पुलिस ने विश्वविद्यालय परिसर में ही पीटा है इसी दौरान तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि राष्ट्रपति के सामने सारी बातें रखी गई है।
राष्ट्रपति से यह मांग की गई कि वह सरकार से इस संवैधानिक कानून को वापस लेने के लिए कहें ।समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि हमने राष्ट्रपति को बताया कि हमने संसद में चर्चा के दौरान जो आशंका जाहिर की थी अब वह सच हो रही है पूर्वोत्तर पूरे देश से कट गया है वैसे भी पाकिस्तान यही चाहता था ।
वह चाहता था कि जैसे उसके टुकड़े किए गए वैसे ही भारत के टुकड़े हो जो अब यह सरकार मौका दे रही है वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह कानून बांटने वाला विधेयक है ।सरकार को अपने देश के नागरिकों की कोई चिंता नहीं है उन्होंने कहा कि सरकार को यह आगाह किया जा रहा है कि इस कानून को खारिज कर दे। इस कानून को लेकर के देश के सभी शैक्षणिक संस्थानों में लेकर हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं ।