ऐक्टिंग कॅरियर में थिएटर का योगदान

Update: 2022-03-24 14:03 GMT



ऑस्कर वाइल्ड की एक उक्ति है, ''मैं थिएटर को सभी कला रूपों का महानतम रूप मानता हूं, यह एक सबसे तात्कालिक तरीका है, जिसमें इंसान किसी दूसरे के साथ यह साझा कर सकता है कि इंसान होने का अहसास क्या होता है। वर्ल्ड थिएटर डे या विश्व रंगमंच दिवस पर एण्डटीवी के शोज के कलाकारों, जोकि टेलीविजन ऐक्टर्स बनने से पहले रंगमंच के कलाकार थे, ने थिएटर के प्रति अपने प्यार के बारे में बात की और बताया कि उनके अभिनय कॅरियर को आकार देने में रंगमंच ने कैसे नींव तैयार की। विदिशा श्रीवास्तव, जिन्होंने हाल ही में 'भाबीजी घर पर हैं' में नई अनीता भाबी के रूप में एंट्री की है, ने कहा, ''रंगमंच कला का सबसे पुराना रूप है और समय के साथ यह काफी विकसित हुआ है। रंगमंच से सामाजिक संभाषण, संवाद और संभावित सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा मिलता है और मैं खुद को सौभाग्यशाली समझती हूं कि मुझे अपने कॅरियर के शुरूआती दिनों में कुछ अद्भुत लोगों के साथ थिएटर करने का मौका मिला।'' सिद्धार्थ अरोड़ा, जोकि 'बाल शिव' में महादेव का किरदार निभा रहे हैं, ने कहा, ''ऐक्टर बनने का मेरा पूरा प्रशिक्षण थिएटर के जरिये ही मिला है। आज भी थिएटर के लिये मेरा प्यार कम नहीं हुआ है। मैं अभी भी थिएटर करता हूं और वर्कशॉप्स में भी भाग लेता हूं,जैसे कि मैंने हाल ही में पुड्डुचेरी में 'आदिशक्ति' किया।'' अंबरीश बॉबी, जोकि 'और भई क्या चल रहा है?' में रमेश प्रसाद मिश्रा का किरदार निभा रहे हैं, ने कहा, ''मैंने अपनी नौकरी छोड़ी और लखनऊ के मशहूर थिएटर डायरेक्टर्स जैसे कि संगम बहुगुणा, ललित सिंह पोखरिया और राजा अवस्थी आदि के साथ काम किया। मैं आज जो कुछ भी हूं, वह थिएटर की वजह से ही है।'' कामना पाठक, यानी कि 'हप्पू की उलटन पलटन' की राजेश ने कहा, '' थिएटर ने मुझे कई बहुमूल्य पाठ सिखाये हैं, जिसने एक बेहतर ऐक्टर बनने में मेरी मदद की और इसी ने मुझे मनोरंजन उद्योग में सफल होने का आत्मविश्वास भी दिया। थिएटर के दिनों में मैंने बहुत कुछ सीखा है।''

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